जल के अणुओं की गति जब वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली के द्वारा हो तो उसे परासरण कहते हैं। प्लाज्मा झिल्ली से जल की गति जल में घुले पदार्थों की मात्रा के कारण प्रभावित होती है। जल के अणु वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली से उच्च जल की सांद्रता से निम्न जल की सांद्रता की ओर जाते हैं। वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली अपने छोटे-छोटे छिद्रों से जल अणुओं। को पार गुज़रने देती है, परन्तु घुलनशील पदार्थ के बड़े अणु इससे नहीं गुजर पाते।
परासरण प्रक्रिया की घटना प्राय: तीन प्रकार की होती हैं|
(क) अल्प परासरण-यदि कोशिका को तनु विलयन में रखा जाए तो जल परासरण विधि से जल कोशिका में चला जाता है। तनु घोल में नमक या चीनी या किसी अन्य लव की मात्रा कम और जल की मात्रा ज्यादा होती हैं इसका परिणाम यह होता है कि कोशिका फूलने लगती है। जैसे-जल में डूबी किशमिश या कुछ देर बाद खुबानी इसी कारण फूल जाती है।
(ख) सम-परासरण-यदि कोशिका ऐसे विलयन में रखी जाए जिसमें बाहरी जल की सान्द्रता कोशिका में विद्यमान जल की सान्द्रता के बिल्कुल बराबर हो तो कोशिका झिल्ली से जल में कोई शुद्ध गति नहीं होगी। जल कोशिका में आता-जाता है पर जल की जो मात्रा भीतर जाती है उतनी ही बाहर आ जाती है। (ग) अति-परासरण-यदि कोशिका के बाहर वाला घोल भीतर के घोल से अधिक सांद्र हो तो जल परासरण से कोशिका से बाहर आ जाएगा। इस स्थिति में कोशिका से ज्यादा जल बाहर आएगा और कम जल भीतर जाएगा।