(i) जब छड़ चुम्बक को कुण्डली में धकेला जाता है तो गैल्वेनोमीटर की सुई विक्षेपित हो जाती है । यह कुण्डली में विद्युत धारा की उपस्थिति का संकेत है ।
(ii) जब चुम्बक को कुण्डली के भीतर से बाहर खींचा जाता है तो गैल्वेनोमीटर की सुई विक्षेपित तो होती है, परन्तु यह विपरीत दिशा में होती है ।
(iii) जब चुम्बक को कुण्डली के भीतर स्थिर रखा जाता है तो गैल्वेनोमीटर की सुई स्थिर रहती है अतः कुण्डली में कोई विद्युत धारा उत्पन्न नहीं होती । विक्षेप शून्य हो जाता है ।