विभिन्न स्थानों पर मिलने वाले मानवां की आकृति, आकार, रंग-रूप में भिन्नता वास्तव में आभासी है। इस भिन्नता का जैविक आधार तो है, परन्तु सभी मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं क्योंकि उनमें किसी प्रकार का आनुवशिक विचलन नहीं है। आनुवोशिक विचलन ही किसी स्पीशीज को दूसरे से भिन्न करता है।