आचार्य नागार्जुन की कविता है ‘अकाल और उसके बाद।’ कविता की पहली चार पंक्तियों में कई दिनों तक’ की पुनरावृत्ति अभाव की निरंतरता को अंकित करती है। कविता में दूसरे खंड की चार पंक्तियों में कई दिनों के बाद ‘तक’ और ‘बाद’ के बीच एक लंबे अंतराल को व्यंजित करती ह