गंगी : अरे यह आप क्या कर रहे हैं?
जोखू : आ गयी! घडे भर पानी मिला?
गंगी : नहीं
जोखू : मैं ने पहले ही बताया है न? मुझे मालूम था कि नहीं मिलेगा।
गंगी : कुएँ के पास कोई नहीं था। इसलिए सीधे वहाँ पहुँची।
पर जोखू : क्या हुआ?
गंगी : दो लौडियाँ पानी भरने आई। उनके चले जाने तक वृक्ष की छाया में जा खडी हुई।
जोखू : उन्होने तुझे देखा क्या?
गंगी : वे चले जाने के बाद कुएँ के जगह मैं पहूँची।
ठाकुर दरवाज़ा बंद करने के बाद पानी भरा और घड़े को पकड़कर जगत पर रखा। तब ठाकुर का दरवाज़ा खुल गया।
जोख : त ने क्या किया?
गंगी : भय से हाथ से रस्सी छूट गयी। रस्सी के साथ घडा धड़ाम से पानी में गिरा। पानी में हिलकोरे की आवाज सुनकर ठाकुर कौन है – कौन है पुकारते आये।”
जोखू : फिर!
गंगी : तब मैं जगत से कूदकर भागी।
जोखू : हमें शुद्ध पानी पीने का अवकाश नहीं।