यह एक अलिखित कानून है कि औरतें घरेलू काम के लिए हैं। खाना बनाना, बर्तन मांजना, पानी भरना, कपड़ा धोना, बच्चों को पालना आदि बातों में उनकी जिंदगी फँसी रहती हैं। अगर कभी इसमें कोई चूक होती है तो पिटने तक नौबत आती है। मर्द चाहे आराम करें, लेकिन औरतों को आराम करने का हक नहीं है। यह विकट स्थिति यहाँ व्यक्त होती है।