“ऐसा मत करो”, “ऐसे पट-पट मत बोलो”, “ऐसे धम-धम मत चलो…” एक दिन गलती से उसने पूछ ही लिया, “क्यों?” क्यों तो बस शुरु हो गई, “अरे छोरी, लोग नाम तो तेरी माँ को ही रखेंगे। कहेंगे कुछ सिखाया ही नहीं।हीं ऐसे ही करेगी क्या अपने घर जाकर ? गुठली बोली, “अपना घर? यही तो है मेरा घर, जहाँ मैं पैदा हुई।”
कहानी में किसका संकेत है?
क. वर्तमान समाज में स्त्री-पुरुष में समता हैं।
ख. वर्तमान समाज में स्त्री-पुरुष समता का अभाव हैं।
ग. वर्तमान समाज स्त्रीयों को पुरुषों के समान ही देखता हैं।