নিম্নলিখিত পদক্ষেপগুলি শিক্ষার্থীদের তাদের নিজের জীবনের জন্য একটি দৃষ্টিভঙ্গি তৈরি করতে সক্ষম করতে পারে:
(1) উপযুক্ত লক্ষ্য নির্ধারণ- শিক্ষার্থীদের তাদের ইচ্ছা, বাস্তবতার জ্ঞান, সংকল্প দ্বারা উপযুক্ত লক্ষ্য নির্ধারণ করা উচিত। উপযুক্ত লক্ষ্য শুধুমাত্র একটি হওয়া উচিত যাতে পূর্ণ সংকল্পের সাথে লক্ষ্য অর্জনের চেষ্টা করা হয়। একটি প্রবাদ আছে যে আপনি যদি দুটি খরগোশের পিছনে দৌড়ান তবে আপনি কাউকে ধরবেন না। কবি রহিম আরো লিখেছেন - একাই সাধে সব সাধাই, সব সাধ সব যায়। রহিমান মুলাহিন সিনচিবো ফুলে ফালাই আঘাই।
(2) আত্ম-ধ্যান-আত্ম-ধ্যান দ্বারা জীবনের দৃষ্টি তীক্ষ্ণ হয়। লক্ষ্য স্থির করার আগে শিক্ষার্থীর তার বাস্তব স্থানের জ্ঞান থাকা উচিত। লক্ষ্য অর্জনের জন্য কোন দিকে, কোন পথে যাওয়া ভাল হবে, তা নিয়েও ভাবা উচিত। চিন্তাভাবনা এবং দৃষ্টিভঙ্গি ইতিবাচক হওয়া উচিত, নেতিবাচক নয়। আপনার চিন্তাভাবনাকে কীভাবে আকার দেওয়া যায় সে বিষয়েও আত্ম-প্রতিফলন প্রয়োজন।
(3) দক্ষতা অর্জন- জীবনে কিছু অর্জনের জন্য, শিক্ষার্থীকে দক্ষতা এবং দক্ষতা বিকাশ করতে হবে যাতে লক্ষ্য অর্জন সহজ হয়। ছাত্র যদি ইঞ্জিনিয়ার বা ডাক্তার হতে চায়, তাহলে ইঞ্জিনিয়ারিং এবং চিকিৎসা বিজ্ঞান অধ্যয়ন করে তাকে প্রয়োজনীয় যোগ্যতা অর্জন করতে হবে। একজন শিক্ষক যিনি শিক্ষক হতে চান তার নিজের মধ্যে শিক্ষার দক্ষতা এবং শিক্ষকের দক্ষতা বিকাশ করতে হবে।
(4) কাজ এবং প্রচেষ্টা - লক্ষ্য অর্জনের জন্য শিক্ষার্থীর জন্য প্রচেষ্টা করা প্রয়োজন। সাফল্যের জন্য চেষ্টা অবিরত হওয়া উচিত। প্রচেষ্টা মূল থেকে শুরু করা উচিত। শিক্ষার্থীরা যদি শীর্ষে পৌঁছতে চায়, তাহলে নিচ থেকে কাজ শুরু করুন। লক্ষ্য অর্জনের পথে অনেক অসুবিধা এবং বাধা থাকতে পারে। এমন পরিস্থিতিতে শিক্ষার্থীর কাজ ও প্রচেষ্টাকে চ্যালেঞ্জ হিসেবে নেওয়া উচিত। চ্যালেঞ্জিং হল সেই চালিকা শক্তি যা একজনকে সাহসী, উৎসাহী এবং লক্ষ্য অর্জনের জন্য প্রচেষ্টা করার আহ্বান জানায়।
(5) পরিকল্পনা বা পরিকল্পনা - লক্ষ্য অর্জনের লক্ষ্যে যাওয়ার জন্য একটি পরিকল্পনা করা উপযুক্ত। পরিকল্পনা থাকলে লক্ষ্যে পৌঁছানোর পথ সহজ হয়। পরিকল্পনা করার সময়, পথে বাধা মোকাবেলা, প্রচেষ্টা ও কাজের অগ্রাধিকার, সময় ব্যবস্থাপনা, ইতিবাচক ব্যবস্থা গ্রহণ এবং নির্ধারিত পরিকল্পনা অনুযায়ী ব্যবস্থা গ্রহণ করা প্রয়োজন। পরিকল্পনা ছাড়াই করা কঠোর পরিশ্রম প্রায়ই বৃথা যায়।
(6) ব্যর্থতার জন্য পুনরায় চেষ্টা করুন- যে কোন নামে ব্যর্থতা পেয়ে হতাশ হওয়ার পরিবর্তে, সেই ব্যর্থতার কারণগুলি সম্পর্কে চিন্তা করা উচিত এবং এটি থেকে শিক্ষা নেওয়া উচিত এবং উৎসাহের সাথে সাফল্য বা লক্ষ্য অর্জনের জন্য আবার চেষ্টা করা উচিত। পাখির বাসার মতো বৃষ্টি ঝড়ে বারবার পড়ে যায়, কিন্তু হাল না ছেড়ে আবার চেষ্টা করে। বারবার সুই বিল্ডিং! দেয়ালে ওঠার সময় পিঁপড়া বারবার পড়ে যায়, কিন্তু আবার চেষ্টা করার পর সে দেয়ালে উঠতে সফল হয়। একইভাবে, শিক্ষার্থীর ব্যর্থতার পর পুন theপ্রচেষ্টা তাকে লক্ষ্য অর্জনে সহায়তা করে।
(7) ডায়েরি লেখা - শিক্ষার্থীদের লক্ষ্য ও লক্ষ্য অর্জনের পথের সাথে ছাত্র জীবন থেকেই ডায়েরি লেখা শুরু করা উচিত যাতে দৈনন্দিন কাজের হিসাব, সম্মুখীন অসুবিধা এবং তাদের সমাধান প্রস্তুত থাকে। এর সাথে, শিক্ষার্থী ফিড ব্যাক পাবে এবং লক্ষ্য অর্জনের সাফল্যের ধাপগুলিও জানা যাবে। আত্ম-প্রতিফলনের একটি কার্যকর মাধ্যম হল দৈনন্দিন লেখা। আপনার সাফল্য এবং ব্যর্থতাগুলিও জার্নালে উল্লেখ করা উচিত। দৈনন্দিন লেখালেখিও আপনাকে লক্ষ্যের দিকে ক্রমাগত এগিয়ে যাওয়ার উৎসাহ দেবে।
(8) আত্মবিশ্বাস-শিক্ষার্থীরা যদি সফল মহৎ মানুষের জীবন বিশ্লেষণ করে, তাহলে তারা দেখতে পাবে যে তাদের আত্মবিশ্বাসের গুণ ছিল যাতে তারা বাধা পেরিয়েও লক্ষ্য অর্জন করতে পারে। আত্মবিশ্বাসী মানুষ সাফল্যের সাথে লক্ষ্য অর্জনের পথে সমস্যার সম্মুখীন হয় এবং তাদের লক্ষ্যকে প্রসারিত হতে দেয় না।
(9) কঠোর পরিশ্রম- লক্ষ্য অর্জনের জন্য কঠোর পরিশ্রম প্রয়োজন। যদি কোন ব্যক্তি কোন কাজের জন্য কঠোর পরিশ্রম না করে, তাহলে সে তা থেকে প্রত্যাশিত সাফল্য পেতে পারে না। লক্ষ্য অর্জনের পথে অদম্য প্রতিবন্ধকতা কঠোর পরিশ্রম দ্বারা সহজ হয়। কাজগুলি অসম্পূর্ণ হওয়া উচিত নয় এবং কঠোর পরিশ্রম করার আগে এটি চিন্তা করা প্রয়োজন যে পথটি লক্ষ্যের দিকে যাচ্ছে কি না।
निम्नलिखित उपाय छात्रों को अपने जीवन हेतु दृष्टि विकसित करने में योग्य बना सकते हैं–
(1) उपयुक्त लक्ष्य का निर्धारण– अपनी इच्छाशक्ति, वास्तविकता के ज्ञान, दृढ़ संकल्प द्वारा विद्यार्थियों को उपयुक्त लक्ष्य का निर्धारण करना चाहिए । उपयुक्त लक्ष्य एक ही होना चाहिए ताकि पूरी दृढ़ता के साथ लक्ष्य प्राप्ति के प्रयास हों । कहावत है यदि आप दो ख़रगोशों के पीछे भागते हैं तो आप किसी को भी नहीं पकड़ पाएंगे। कवि रहीम ने भी लिखा है–एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाए। रहिमन मूलहिं सींचिबो फूले फलै अघाय ॥
(2) आत्मचिंतन– जीवन हेतु दृष्टि आत्म चिंतन से प्रखर होती है । विद्यार्थी को लक्ष्य निर्धारण के पूर्व अपने वास्तविक धरातल का ज्ञान होना चाहिए। लक्ष्य प्राप्ति के लिए किस दिशा में किस मार्ग पर जाना सर्वोत्तम होगा इस पर भी चिंतन करना चाहिए । विचार व दृष्टिकोण सकारात्मक होने चाहिए नकारात्मक नहीं। अपने विचारों को मूर्त रूप कैसे दिया जाए इस पर भी आत्म चिंतन आवश्यक है।
(3) योग्यताओं का अर्जन– जीवन में कुछ पाने के लिए छात्र को क्षमताओं और कौशलों को विकसित करना होगा ताकि लक्ष्य की प्राप्ति सरल हो। यदि छात्र इंजीनियर या डॉक्टर बनना चाहता है तो इंजीनियरिंग तथा मेडीकल साइंस का अध्ययन कर उसे अपेक्षित योग्यताओं को प्राप्त करना होगा। शिक्षक बनने के इच्छुक छात्राध्यापक को स्वयं में शिक्षण कौशल तथा शिक्षक की योग्यताएं विकसित करनी होंगी।
(4) कार्य व प्रयास – विद्यार्थी का लक्ष्य की प्राप्ति हेतु प्रयास करना अनिवार्य है। सफलता के लिए प्रयास निरंतर होते रहने चाहिए। प्रयास जड़ से प्रारंभ होने चाहिए। यदि विद्यार्थी सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने के आकांक्षी हैं तो सबसे नीचे से कार्य करना शुरू करें। लक्ष्य सिद्धि के मार्ग में अनेक कठिनाइयों व अवरोधों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में छात्र को कार्य व प्रयासों को चुनौती के रूप में लेना चाहिए। चुनौती वह प्रेरक शक्ति है जो लक्ष्यसिद्धि के लिए साहसी, उत्साही और संघर्षशील बनने का आह्वान करती है।
(5) नियोजन या योजना निर्माण– लक्ष्य प्राप्ति के लक्ष्य की ओर जाने की योजना बनाना उपयुक्त होता है। योजना बना लेने से लक्ष्य तक पहुँचने का मार्ग आसान हो जाता है। योजना बनाते समय मार्ग में आने वाले अवरोधों से निबटने के उपाय, प्रयासों व कार्यों की प्राथमिकता का निर्धारण,समय प्रबंधन,सकारात्मक उपायों का अवलंबन, निर्धारित योजना अनुसार प्रयास आवश्यक है। बिना योजना के किया गया परिश्रम प्रायः व्यर्थ जाता है।
(6) असफलता पर पुनर्प्रयास– किसी नाम से असफलता मिलने पर निराश होने के स्थान पर उस असफलता के कारणों पर चिंतन कर उससे सीख लेनी चाहिए तथा पुनः उत्साह के साथ सफलता या लक्ष्य प्राप्ति के प्रयास करने चाहिए। जैसे एक चिड़िया का घोंसला वर्षा–तूफान से बार–बार गिरता है परन्तु वह प्रयास न छोड़कर पुनः प्रयास करती है । नीड़ का निर्माण फिर–फिर ! चींटी दीवार पर चढ़ते समय बार–बार गिरती है परन्तु पुनः प्रयास करते करते वह दीवार पर चढ़ने में सफल होती हैं। इसी प्रकार विद्यार्थी के असफलता के बाद किये गए पुनप्रयास उसे लक्ष्यसिद्धि में मदद करते हैं।
(7) दैनिकी लेखन– लक्ष्य तथा लक्ष्य प्राप्ति के मार्गों से संबंधित दैनंदिनी (डायरी) का लेखन छात्रों को छात्र जीवन से ही प्रारंभ कर देना चाहिए ताकि प्रतिदिन के कार्यों का लेखा–जोखा, सामने आई कठिनाइयाँ तथा उनका हल का अभिलेख तैयार हो। इससे छात्र को पृष्ठपोषण (फीड बैक) मिलेगा तथा लक्ष्य सिद्धि में सफलता के चरण भी ज्ञात होते रहेंगे। आत्मचिंतन का कारगर साधन दैनिकी लेखन है। दैनिकी में अपनी सफलताओं तथा असफलताओं का भी उल्लेख होना चाहिए। प्रतिदिन का लेखन आपको लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ने का उत्साह भी देता रहेगा।
(8) आत्म विश्वास– विद्यार्थी सफल हुए महान व्यक्तियों के जीवन का विश्लेषण करें तो पाएंगे कि उनमें आत्म विश्वास का गुण था जिससे वे अवरोधों के बाद भी लक्ष्य प्राप्त कर सके। लक्ष्य सिद्धि के मार्ग में आयी कठिनाइयों का सामना आत्मविश्वासी व्यक्ति सफलता से करते हैं और अपने लक्ष्य को विस्तृत नहीं होने देते।
(9) कड़ा परिश्रम– लक्ष्य प्राप्ति हेतु कठोर परिश्रम अपेक्षित होता है । कोई भी व्यक्ति किसी कार्य के लिए कठोर परिश्रम नहीं करेगा तो वह उससे अपेक्षित सफलता नहीं पा सकता। लक्ष्य सिद्धि के मार्ग की दुर्गम बाधाएं कठोर परिश्रम से आसान हो जाती हैं। कार्य अधूरे नहीं होने चाहिए तथा परिश्रम के पूर्व यह चिंतन आवश्यक है कि रास्ता लक्ष्य की ओर ले जाने वाला है अथवा नहीं।