दरअसल शुरू से ही था हमारे आदेशों में कही एक जानी दुश्मन कि घर को बचाना है लूटेरों से शहर को बचाना है नदियों से देश को बचाना है , देश के दुश्मनों से बचाना है - नदियों को नाला हो जाने से हवा को धुआँ हो जाने से खाने को जहर हो जाने से : बचाना है -
जंगल को मरुस्थल हो जाने से ,
बचाना है - मनुष्य को , जंगल हो जाने से ।
उपर्युक्त पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लगभग ६ से ८ पक्तियों में लीखिए ।