संत तुकड़ोजी महाराज किसी मूर्ख व्यक्ति को मित्र न बनाने का उपदेश देते हैं। संत तुकडोजी के मतानुसार मूर् ध्यक्ति में बुदिध नहीं होती। अच्छी सीख उसे अच्छी नहीं लगती वह संत तुकड़ोजी के मतानुसार बुरी आदतों और व्यसनों का शिकार होता है। कुसंगति में ही उसे आनंद मिलता है। ऐसे व्यक्ति को मित्र बनाने वाला उसके बुरे प्रभाव से बच नहीं सकता। मूर्ख मित्र की संगति करने से अच्छे संस्कार बुरे संस्कारों में बदल जाएँगे। मूर्ख व्यक्ति अपने मित्र को भी बरबादी के रास्ते पर ले जाएगा समाज में सब उसका अपमान करेंगे उसै अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है
इस प्रकार, मनुष्य मूर्ख व्यक्ति की संगति से नष्ट और भ्रष्ट हो जाता है