आज का युग रासायनों का युग है। पृथ्वी पर जीव-जंतुओं का आस्तित्व रासायनों की कारण ही हैं। हमने रासायनों को सिर्फ खतरों के रूप में ही जाना है, लेकिन उनसे होने वाले लाभ दुर्लक्षित किए हैं।
जब तक कोई रसायन बिना किसी संदिग्धता के गैर जरूरी और हानिकर सिद्ध न हो जाए, तब तक उसका इस्तेमाल सुरक्षित ढंग से जारी रहने देना चाहिए।
रासायन हमारी आवश्यकता है। ये हमारी पर्यावरण में हमेशा मौजूद है, इनकी सूक्ष्म अथवा लेश मात्रा भी अर्थपूर्ण हो सकती है।
हमारे पर्यावरण को रासायनों ने व्याप्त किया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, पर्यावरण की सारी वस्तुएँ विभिन्न -रासायनिक यौगिकों से बनी हुए हैं। हमारे शरीर का निर्माण भी रासायनिक यौगिकों से हुआ है। हवा और सारी वनस्पतियाँ तरह-तरह के रसायनों से ही उत्पन्न होती है। हमारे पर्यावरण में नदियाँ, झीलें, सागर आदि महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनका पानी हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बना एक महत्त्वपूर्ण यौगिक है, जिसके बिना पृथ्वी पर जीवन असंभव है।
स्वाद में मीठी कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बनी है। कोयला और तेल भी रासायनों के ही रूप है। भोजन का स्वाद बढ़ाने वाला नमक भी सोडियम और क्लोरीन का यौगिक है। यह समुद्र के और कुछ झीलों के खारे पानी से बनता है। जिस मिट्टी को हम मामूली समझते है, वह अनेक तरह के रासायनों का भण्डार है। इन्हीं रासायनों के कारण खेत में अनाज की फसलें उगती है, बगीचे फूलों से गुलशन होते है और धरती पर वनों की छाया होती है।
इस प्रकार खुद प्रकृति ही अनेक रासायनों का खजाना है। कोयला, तेल, अनाज, सब्जियाँ, फल मेवे इत्यादि , इन प्राकृतिक रसायनों के बीमारियों से मुक्ति दिलाने वाली औषधियाँ, एण्टीबायोटिक्स, एस्प्रीन और पेनिसिलीन इत्यादि सभी प्रकार के मनुष्य निर्मित रासायन मानवीय जीवन में एक योगदान है।