कबीर एक महान संत कवि थे, वह पढ़े-लिखे नहीं थे परन्तु उन्होंने अपने मार्मिक विचारों को अनपढ़ भाषा में बड़े अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया था । उनके विचार सार्वकालिक और सार्वभौमिक माने जा सकते हैं। उन्होंने जो भी विचार दिए वह सर्वविदित हो गए। गुरे के महत्व को, अच्छाई का फल अच्छा और बुराई का फल बुरा इससे सभी सहमत हैं। कबीर ने दया को धर्म बताकर उसका ही सार प्रस्तुत किया है। उनके अनुसार लोभ ही पाप का मूल है । कबीर क्रोध को विनाशकारी बताते हुए क्षमता ही ईश्वर स्वरूपा है ऐसा कहते थे। इस प्रकार कबीर के विचार चिर सत्य का दर्शन कराते हैं।