` " " ` विज्ञान वरदान या अभिशाप
आज का युग विज्ञान का युग है। विज्ञान ने आज मनुष्य को उन्नति के चरम शिखर पर लाकर खड़ा कर दिया है। आधुनिक वैज्ञानिक खोजों ने मनुष्य के जीवन में एक नई क्रान्ति ला दी है। आज मनुष्य ने विज्ञान के बल पर प्रकृति को अपनी दासी बना लिया है।
मनुष्य ने विज्ञान की सहायता से नदियों को बांधकर नहरें निकाल दी हैं। बड़े-बड़े पर्वतों को चीरकर सुरंगें बना दी हैं। समुद्र के सीने से आवश्यक तत्व तत्व पेट्रोलियम निकाल लेना मानव की सबसे बड़ी उपलब्धि है। मानव की सुविधा के लिए रेल, मोटर, वायुयान, जलयान बड़े-बड़े इंजीनियर्स की देन है। चिकित्सा के क्षेत्र में नई-नई खोज मशीनों का ऑपरेशनों में प्रयोग व लेजर तकनीक से इलाज ने तो आज सचमुच चमत्कृत कर दिया है। विज्ञान की एक और बड़ी देन है कम्प्यूटर व कम्प्यूटर रोबोट-जिसकी मदद से आज बड़े-बड़े काम होने लगे है, जिनकी मानव ने कभी कल्पना भी नहीं की थी। आज मनुष्य ने चन्द्रमा ही नहीं अन्य सौरमंडलों की भी खोज कर ली है।
चाहे चिकत्सा का क्षेत्र हो या इंजीनियरिंग का , भौतिक विज्ञान हो या रसायन विज्ञान, विज्ञान ने सभी क्षेत्रों में अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया है । आज बटन दबाते ही सारे सुख-साधन उपलब्ध हो जाते है। विज्ञान के कारण ही सारे मनुष्य जाती एक दूसरे के निकट है। शिक्षा के क्षेत्र में तो कम्प्यूटर एक वरदान है। जल, थल, आकाश कोई भी क्षेत्र आज मनुष्य की पहुँच से बाहर नहीं है। विधुत का उत्पादन भी इस युग की सबसे बड़ी देन है। संसार में विधुत ने प्रकाश ही नहीं दिया बल्कि कृत्रिम वस्तु जैसे अग्नि, वायु, जल सभी को उत्पन्न करने में अद्भुत योगदान दिया। कम्प्यूटर, फैक्स, मोबाइल फोन, सेटेलाइट संचार व्यवस्था आज इतनी सामान्य हो गई है कि विश्व की सूचनाएं क्षण में उपलब्ध हो जाती है। कृषि के क्षेत्र में नई-नई तकनीकों रासायनों की खोज ने उपज को चौगुना कर दिया है।
जहाँ विज्ञान ने मनुष्य को इतने वरदान दिये है वहीं समस्याएं भी खड़ी कर दी है, युद्ध के विनाशकारी टैंक, बमवर्षक विमान , अणु बम विषैली गैसों के प्रदूषण के कारण पर्यारवण को खतरा भी विज्ञान की देन है, यदि मनुष्य वैज्ञानिक उपलब्धियों का दुरूपयोग करता है तो विनाश होगा ही। विज्ञान पर दोष लगाना तो मूर्खता ही है। विज्ञान स्वयं में विनाशकारी नहीं है, बल्कि वह तो आज की मानव संस्कृति के लिए वरदान बनकर ही सामने आया है।