तुकडोजी महाराज को आधुनिक संत माना जाता है। इन्होंने अपने पद में सीधी भाषा में जीवन में आवश्यक ज्ञान को अभिव्यक्त किया है। संत तुकडोजी महाराज चेतावनी देते हुए कहते हैं कि किसी मूर्ख व्यक्ति को मित्र न बनायें क्योंकि मूर्ख व्यक्ति आपको बरबाद कर देता है। इसलिए सोच-समझकर मित्र बनाने चाहिए। स्वार्थी मित्र और सच्चा मित्र ऐसे दो प्रकार के मित्र होते हैं। सच्चा मित्र सुख-दु:ख में साथ देता है, समय पर काम आता है, परन्तु मूर्ख व्यक्ति को मित्र बनाने से हमें नुकसान ही होता है। ऐसे व्यक्ति में बुद्धि नहीं होती है । उनमें बुरी आदतें होती हैं, साथ ही ऐसे व्यक्ति अनेक व्यसनों के शिकार होते हैं। इस कारण इनके कुसंगत में रहने से बुरे प्रभाव से बचा नहीं जा सकता। ऐसे बुरे मित्र होने से अच्छा तो ज्ञानी, बुद्धिमान और शिक्षित शत्रु होता है। कुरसंगति में रहने से अच्छे संस्कारों को बुरे संस्कारों में बदलते देर नहीं लगती, परन्तु बुद्धिमान शत्रु की अच्छाइयों से कुछ सीखने को ही मिलता है। इसलिए तुकडोजी महाराज कहते हैं कि मूर्ख व्यक्ति को मित्र बनाने से उसकी कुसंगति में रहने से मनुष्य नष्ट और भ्रष्ट हो जाता है