इक्कीसवी सदी विज्ञान के चमत्कारों के रूप में जानो जाएगी। यूँ तो विज्ञान की पहुँच अंतरिक्ष से लेकर रसोईघर तक व्याप्त हो गई है। खासकर सूचना और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तो क्रान्ति ही आ गई है। इनमें मोबाइल का स्थान प्रमुख है।
मोबाइल का इस्तेमाल समाज के सभी तरह के लोग करते हैं। चाहे हवाई जहाज में सफर करने वाला धनी वर्ग हो या फुटपाथ पर गुजारा करने वाला गरीब मनुष्य हो। भारत में चालीस करोड़ लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। इसके बिना जीवन अधूरा लगता है। यह इन्सान की दिनचर्या में छाया की तरह जुड़ गया है। मोबाइल का उपयोग सिर्फ बातचीत के लिये ही नहीं होता अपितु इसका उपयोग संगीत सुनने, गणना करने, इंटरनेट उपयोग करने जैसे कार्यों के लिये होता है।
लाभ-मोबाइल से जरूरी सूचनाओं का आदान-प्रदान कुछ पलों में ही हो जाता है। चाहे नौकरी की सूचना हो, चाहे मरीज को अस्पताल पहुँचाने को सूचना हो या अन्य सूचना हो। अपने घरों से दूर रहने वाले लोग अपनों से सदा संपर्क में रहते हैं।इसके अलावा मनोरंजन, ज्ञान-विज्ञान के रूप में भी मोबाइल की भूमिका महत्वपूर्ण है। संकट में फैसे साथी की मदद करनी हो या अन्य सूचनाओं का आदान-प्रदान करना हो, मोबाइल से सब फटाफट हो जाता है।
हानि-बाइल अनेक मानसिक विकृतियों को पैदा करता है। इसका दुरुपयोग अधिक हो रहा है। जिस कारण ब्रेन-ट्यूमर, कैंसर, अनिद्रा जैसी कई समस्याएँ गैदा हो रही हैं। मोबाइल के टावर से निकलने वाली घातक तरंगों से पश्चियों के अंडे नष्ट हो जाते हैं। कई पक्षी व वन्य जीवों की प्रजाति लुप्त होने की कगार पर है। इस बात को भारत सरकार भी बखूबी जानती है। मोबाइल ने सामाजिक दृरियाँ पैदा कर दी हैं । लोग छोटी- मोटी बातों के लिये झट से तु-तु, मैं-मैं कर लेते हैं। मोबाइल में पत्रों जैसी हदय की मिठास नहीं रह गई। आपसी रिश्तों में खटास पैदा हो गई। मोबाइल ने युवकों व युवतियों की सोच तथा संस्कारों को भी नकारात्मक प्रभावों से जकड़ लिया है। मोबाइल पर बात करते समय गाड़ी चलाना या सड़क पार करना, कई खतरों को पास बुलाता है।
मोबाइल का उपयोग संयमित तरीके से किया जाये तो यह हमारे लिये फायदेमंद साबित होगा