प्रशन में दी गयी परिस्थिति चित्र में दिखाई गयी है मान ले की सुसूचक 30.W2 स्त्रोत D से S मीटर की दुरी पर रेखा है स्त्रोत से आती सीधी तरंग x मीटर की दुरी तय कर सुसूचक तक पहुचती है जबकि दिवार से प्रवर्तित होकर तरंग को
`2[(2m)^(2)+((x)/(2)m)^(2)]^(1//2)`
दुरी तय करनी पड़ती है संसूचक तक पहुचती दोनों तरंगो की बीच पथांतर
`triangle x= {2[2^(2)+(x^(2))/(4)]^(1//2)-x}`m
अतः (i) `2[(2)^()+(x^(2))/(4)]^(1//2)` -x=2
`[(4+(x^(2))/(4))]^(1//2)=12+(x)/(2)`
या `4+(x^(2))/(4)=1+(x^(2))/(4)+x`
या x=3 अतः सुसुचांक को स्त्रोत से 3 m की दुरी पर रकना होगा धियान दे प्रवर्तन के कारण कोई अचानक कालांतर नहीं हुआ है