जरा-सा ज्यादा के लिए हम `bar(ge)` संकेत का प्रयोग करेंगे। जब पट्टिका नहीं रखी गई है , तो ltbgt `bar gt theta_(c)= "sin"^(-1)((n_(1))/(n_(2)))`
या ` sin theta bar gt (n_(1))/(n_(2))`
जब पट्टिका रख दी जाती है तब दो परिस्थियाँ हो सकती है `n_(3)le n_(1)` तथा `n_(3) le n_(1)`
परिस्थति 1. `n_(3) le n_(1)`
ऐसी स्थिति में ` sin theta bar gt (n_(1))/(n_(2)) ge (n_(3))/( n_(2))`
अतः प्रकाश माध्यम `II` तथा माध्यम `III` की सतह पर क्रांतिक कोण से अधिक कोण पर आपतिति होगा और पूर्ण आंतरिक परावतन का माध्य में `I` लौट जाएगा।
परिस्थति 2. `n_(3) ge n_(1)`
ऐसी स्थिति में `sin theta bar gt (n_(1))/(n_(2)) lt (n_(3))/(n_(2))`
अतः `sin theta ` का मान `(n_(3))/(n_(2))` से कम हो सकता है । यदि ऐसा हो,तो FG सतह पड़ते प्रकाश का एक भाग माध्यम `III` में अपवर्तित हो सकता है (चित्र 34.W 9) । यदि अपवर्तन का कोण `theta` हो, तो
` (sin theta)/(sin theta)=(n_(3))/(n_(2))`
या `sin theta =(n_(2))/(n_(3)) sin theta bar lt (n_(2))/(n_(3))*(n_(1))/(n_(2))`
अतः `sin theta bar gt (n_(1))/(n_(3))" "...(i)`
चूँकि पट्टिका की सतहे समानांतर है, अतः पट्टिका में चलती यह अपवर्तित किरण सामे की सतह `DE` पर इसी कोण `theta` पर आपतित होगी। समीकरण (i) के अनुसार, यह आपतन कोण माध्यम `III` तथा `I` के लिए क्रांतिक कोण से बड़ा होगा और प्रकाश का कोई भी भाग माध्य में `I` में नहीं जा पायेगा और कुछ परावर्तित होकर पुनः `FG` सतह पर पड़ेगा। लेकिन , यहाँ, भी आपतन कोण `theta` ही होगा और इस परावर्तन , अपवर्तन होने के बाद भी माध्यम `I` में प्रकाश का कोई भाग नहीं निकलेगा। और अंतत : सारा प्रकाश माध्यम `II` में ही लौट जाएगा।