चित्र में बीकर का अनुप्रस्थ परिच्छेद ( cross section ) दिखाया गया हैं , जिसससे प्रकाशपुंज आ रहा हैं ।
प्रकाशपुंज पानी से चलकर हवा में प्रवेश करता हैं । बीकर की दीवार पतली होने के कारण इसके व्दारा प्रकाश की किरणों में किसी प्रकार के विस्थापन या विचलन को नगण्य माना जा सकता हैं । इस अपवर्तन के लिए ,
u = `oo , R_(0) , n_(1) = (4)/(3) , n_(2) = 1` .
अब सूत्र `(n_(2))/(v) - (n_(1))/(u) = (n_(2) - n_(1))/(R)` से
`(1)/(v) - ((4)/(3))/(oo) = (1 - (4)/(3))/(R_(0))`
या `v = -3R_(0)`.
अतः , प्रथम प्रतिबिंब बीकर की बायी सतह से `3R_(0)` पीछे बनेगा । बीकर की दूसरी सतह पर पड़ती किरणों के लिए यही प्रतिबिंब वस्तु हैं । इस सतह पर अपवर्तन के लिए ,
` u = - 3R_(0) + (-2R_(0)) = - 5R_(0) `,
R = `-R_(0) , n_(1) = 1 , n_(2) = (4)/(3)`.
पुनः सूत्र `(n_(2))/(v) - (n_(1))/(u) = (n_(2) - n_(1))/(R)` से ,
`(4)/(3v) - (1)/(-5R_(0)) = ((4)/(3) -1)/(- R_(0))`
या `v = -(5)/(2)R_(0).`
अंतिम प्रतिबिंब I इस सतह से `(5)/(2)R_(0)` पीछे बनेगा । बीकर के केंद्र से यह प्रतिबिंब `(3)/(2) R_(0)` पीछे बनेगा । यदि यहाँ एक अवतल लेंस की कल्पना की जाए जो अंतिम प्रतिबिंब I पर ही बनाए , तो उसकी फोकस - दूरी `(3)/(2) R_(0)` होनी चाहिए ।