रेडियो तरंगें-इन तरंगों की आवृत्ति परास `5 xx 10^(@)` हर्ट्ज से `10^(9)` हर्ट्ज तक होती हैं । इन तरंगों का उत्पादन दोलनी परिपथ द्वारा किया जाता है। विभिन्न आवृत्ति
परास की रेडियो तरंगों का उपयोग विभिन्न संचार परिपथों में किया जाता है।
2. माइक्रो या सूक्ष्म तरंगें- उन तरंगों को जिनकी आवृत्ति । गीगा हर्ट्ज में 300 गीगा हर्ट्ज के मध्य होती हैं, सूक्ष्म तरंगें कहलाती हैं। इनका उत्पादन विशिष्ट निर्वात्न ली जैसे-क्लिस्टॉन, मैग्नेट्रॉन इत्यादि द्वारा किया जाता है। इनका उपयोग रेडार में किया जाता है।
3. अवरक्त तरंगें-इनका आविष्कार हरशैल नामक
वैज्ञानिक ने किया था। इन विद्युत्चु म्बकीय तरंगों का आवृत्ति परास `3 xx 10^(11)` हर्ट्ज से `4 xx 10^(14)` हर्टज होता है। इन्हें ऊष्मीय तरंगें भी कहते हैं। इनका उपयोग सोलर सेल में
उपग्रह को विद्युत् ऊर्जा प्रदान करने में होता है।
4. पराबैंगनी तरंगें-इन किरणों का आविष्कार किटर नामक वैज्ञानिक ने किया था । इनकी आवृत्ति परास `8 xx 10^(14)` हर्ट्ज से `5 xx 10^(21)` हर्ट्ज होती है । इन किरणों का उत्पादन सूर्य, विशेष लैम्प इत्यादि द्वारा होता है। इनका
उपयोग खनिज पदार्थों की जाँच करने में होता है।
5.X-किरणें इन किरणों की खोज 1895 में रोंटजन
नामक वैज्ञानिक ने किया था। इन किरणों की आवृत्ति परास `10^(16)` हर्टज से `3 xx 10^(21)` हर्ट्ज तक होती है। इनकी पारगमन क्षमता बहुत अधिक होती है। X-किरणों का मुख्य उपयोग शल्य क्रिया में टूटी हड्डियों की पहचान में होता है।