Correct Answer - Option 3 : दूध के ख़राब होने से पहले मक्खन बना लेना चाहिए |
उपरोक्त विकल्पों में विकल्प 3 सटीक विकल्प है l अन्य विकल्प असंगत है l
प्रस्तुत सुललित , सुसंगठित ,सारगर्भित पद्य पंक्ति में रहीमदास जी समय कि तुलना दूध और मक्खन से की है जिस प्रकार दूध जब फट जाता है तो उससे मक्खन नहीं बन सकता ठीक उसी प्रकार जब समय होते कार्य नहीं किया जाता है , तो उस कार्य का कोई फायेदा नहीं होता है l अर्थात दूध के बिगड़ने से पूर्व ही उसमें से मक्खन निकाल लें इसमें ही हमारी बुद्धिमत्ता है; क्योंकि इसके बिगड़ने पर तो उसमें से मक्खन निकलने का प्रयास एकमात्र शक्ति का अपव्यय ही होता है l
रहीमदास जी भक्तिकाल के सवोत्क्रष्ट कवि थे उन्होंने अपने काव्य में नीतिगत विचारों को बहुत ही सरलता से बताया है l उनके ग्रन्थों में रहीम दोहवाली या सतसई, बरवै, मदनाष्ठक, राग पंचाध्यायी, नगर शोभा, नायिका भेद, शृंगार, सोरठा, फुटकर बरवै, फुटकर छंद तथा पद आदि प्रसिद्ध हैं। उनकी रचनाओं में रामायण, महाभारत, पुराण तथा गीता जैसे हिंदुओं के धार्मिक ग्रन्थों के कथानकों का प्रयोग किया है। रचनाओं में वह नीति, भक्ति, प्रेम, और शृंगार का अद्भुत समावेश मिलता है। उन्होने अपने काव्य में अपने अनुभवों को अत्यंत ही सरल और सहज शैली में अभिव्यक्त किया है। उन्होने अपने काव्य में पूर्वी अवधी, ब्रजभाषा तथा खड़ी बोली का प्रयोग किया है।