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Comprehension

निर्देश: गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें |

बहुत पहले रहीम जी ने कहा था, "रहिमन बिगरे दूध को मथे न माखन होय" | दूध के बिगड़ने से पूर्व ही उसमें से मक्खन निकाल लें इसमें ही हमारी बुद्धिमत्ता है; क्योंकि इसके बिगड़ने पर तो उसमें से मक्खन निकलने का प्रयास एकमात्र शक्ति का अपव्यय होगा अंग्रेजी में भी-गर्म लोहे को पीटकर उसे रूचि के अनुसार रूप देने की बात कही गई है | उसके ठंडा होने पर वह टूट सकता है; किंतु हमारा इच्छित रूप प्राप्त नहीं कर सकता और फिर बाद में पछताने से होता ही क्या है? हमारे पश्चाताप से वर्तमान भूत को प्रत्यक्ष नहीं क्र सकता, जिससे हम उसमें आवश्यक सुधार कर सके अपितु मनस्ताप एवं खेद के साथ साथ हमारा वर्तमान भी तिक्त हो उठता है पूर्व सावधानी ही इस तिक्तता से बचें रहने का अन्यतम उपाय है | व्यक्ति और राष्ट्र में व्यष्टि और समष्टि का भाव निहित है | जो बात व्यष्टि के लिए हितकर है, सिद्धातंतः के लिए घातक बन जाए, ऐसा कोई नियम नहीं है | समय पर ही कार्य करने की उपादेयता जहाँ व्यक्तिगत जीवन में अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, वहाँ राष्ट्रीय जीवन के लिए भी उसका औचित्य एवं महत्त्व असंदिग्ध है हम देखते हैं कि राष्ट्र की अनेक योजनाएं यदि समय के अनुसार कार्यान्वित नहीं होती हैं तो कालांतर में वे निर्मूल्य हो जाती हैं | अतः उन सभी योजनाओं को उन सभी राष्ट्रोपयोगी कार्यों के समय की परख करते हुए, समय की उपादेयता की दृष्टि में रखते हुए ही करना हितकर है | आचार्य शंकर के मत में जो व्यक्ति समय पर बोलने में या सुनने में समर्थ नहीं वह वास्तव में मूक व बधिर अर्थात असमर्थ और असफल है |


1. अपनी पसन्द का आकार दे सकते हैं |
2. मक्खन बन जाता है |
3. इससे हाथ रोक सकते हैं |
4. वह टूट जाता है |

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Correct Answer - Option 1 : अपनी पसन्द का आकार दे सकते हैं |

उपरोक्त विकल्पों के अनुसार विकल्प 1 सटीक उत्तर है l अन्य विकल्प असंगत है l

प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार लोहे के उदाहरण के माध्यम से कवि ने सही समय पर कार्य करने की उपयोगिता को बताया है यदि हम कोई भी कार्य उचित समय पर कर लेते है तो उससे न सिर्फ हमे बल्कि समाज के कल्याण के लिए भी हितकर होता है 

यदि हम कोई भी कार्य सही समय पर नहीं करते है तो वह कार्य हमे अरुचिकर लगने लगता है l यह बात प्रायोगिक और सार्थक है l  "सत्य कहावत है कि बीता हुआ समय और बोले हुए शब्द कभी वापस नही आ सकते। हमें किसी भी काम को कल पर नही टालना चाहिए क्योंकि आज का कल पर और कल का काम परसों पर टालने से काम अधिक हो जायेगा। बासी काम, बासी भोजन की तरह अरुचिकर हो जायेगा। अतः हमारे महान संतो तथा विचारको ने भी समय कि मत्तता को अपने विचारों में व्यक्त किया है जैसे : 

"काल करे सो आज कर आज कर सो अब l

पल में प्रलय होयगी तो बहुरि करोगे कब l l "

अर्थात जिस कार्य को करना है उसे सही समय पर कर लेना चाहिए वर्ना पछतावे के आलावा कुछ भी हाथ नहीं आता है l समय का सही प्रयोग ही सफलता की कुंजी है l

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