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Comprehension

निर्देश:- निम्नलिखित गद्यांशं पठित्वा अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि ददातु-

       कस्मिंश्चिदरण्ये वसति स्म कोऽपि सिंहः। पर्वतस्य गुहायां सः दिवा अस्वपत् रात्रौ वने इतस्ततः परिभ्रमन् पशूनभक्षयत्। कदाचित् प्रभूतमाहारं कृत्वा अयं सिंहः कस्यचित् वृक्षस्य छायायां सुखेन अस्वपत्। ततः बहवः मूषकाः बिलात् निर्गत्य सानन्दं सिंहस्य शरीरे अनृत्यन् इतस्ततः। तेन पीडितः सिंहः प्रबुद्धं दृष्ट्वा पलायन्ते सर्वे मूषकाः बिलम्। तेषां कमपि मूषकमगृह्णात सिंहः करतलेन। तदा सः मूषकः आर्तस्वरेण अवदत् - 'भो महाराज! त्वं किल पशूनां राजा। प्रसिद्धः तव पराक्रमः। अहं तु क्षुद्रः जन्तुः। मम अपराधं तावत् क्षमस्व। मां मा जहि। मयि दयां कुरु। कदाचिदहं करिष्यामि तव साहाय्यम्।' इति। एतद् तस्य आर्तवचनं श्रुत्वा सिंहः तममुञ्चत्।


1. ल्यप्
2. क्त
3. तुमुन्
4. क्त्वा

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Correct Answer - Option 1 : ल्यप्

प्रश्नार्थ - 'निर्गत्य' इस पद में प्रत्यय है-

स्पष्टीकरण - 'निर्गत्यका अर्थ होता है-'बाहर आकर', यह पुर्वकालवाचक धातुसधित अव्यय है।

शब्द – निर्गत्य

प्रकृति – निर् उपसर्ग पूर्वक गम-गच्छ धातु 

प्रत्यय – ल्यप् 

  • जब् एक हि कर्ता एक कार्य समाप्त कर दुसरी क्रिया करता है तब 'समासेऽनञ्पूर्वे क्त्वो ल्यप्' इस सूत्र से पूर्वकालिक 'क्त्वा' या 'ल्यप्' प्रत्यय लगता है।
  • जब धातु से पहले उपसर्ग हो तब 'क्त्वा' के स्थान पर ल्यप् प्रत्यय लगता है।
  • 'लशक्वतद्धिते' से 'ल्यप्' में 'ल्' और हलन्त्यम् से 'प्' की इत्संज्ञा होकर लोप होता है और केवल 'य' शेष बचता है।

उदाहरण -

  • वि + ज्ञा + ल्यप् = विज्ञाय
  • आ + दा + ल्यप् = आदाय
  • प्र + कृ + ल्यप् = प्रकृत्य
  • निर् + गम-गच्छ + ल्यप् = निर्गत्य

अतः स्पष्ट है कि 'निर्गत्य' में ल्यप् प्रत्यय है।

प्रत्यय:- ‘प्रति’ उपसर्ग पूर्वक ‘इण्’ धातु से ‘अच्’ ;प्रत्यय होकर प्रत्यय’ पद निष्पन्न होता है। जिसका अर्थ होता है वे शब्द या शब्दांश जो अन्य शब्द के अन्त में जुड़कर नये सार्थक शब्दों का निर्माण करते हैं प्रत्यय कहलाते है। जैसे- गम्+ क्त्वा = गत्वा। ;प्रत्यय पाँच प्रकार के होते हैं-

नाम

परिभाषा

उदाहरण

विभक्ति

मूल धातु या प्रातिपदिक से पद बनाने के लिये जुड़ते है। सुप् और तिङ्ग इनके अन्तर्गत आते हैं।

पठ् + तिप् = पठति

राम + सु = रामः

कृत्

धातु के अन्त में जुड़ते हैं।

धृ + क्तिन् = धृति

तद्धित

शब्दों के अन्त में जुड़ते हैं।

श्रेष्ठ + तमप् = श्रेष्ठतम्

स्त्रीप्रत्यय

पुं. स्त्री. में परिवर्तित करने के लिए जुड़ता है।

बालक + टाप् = बालिका

धातु-अवयव

प्रत्यय से पूर्व जुड़ने वाला प्रत्यय होता है।

पठ् + णिच् + तिप् = पाठयति

पठ् + णिच् + शतृ = पाठयन्

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