Correct Answer - Option 4 : उपर्युक्त सभी
वाक्य प्रयोग शब्दों के अर्थ स्पष्ट करने का अंतिम और साधारणतौर पर प्रयोग आने वाला तरीका है।
काठिन्य निवारण को गद्य शिक्षण की आत्मा कहते है। इसकी निम्न तीन विधियाँ प्रचलित हैं-
उद्बोधन विधि- इस विधि का मुख्य उद्देश्य ज्ञानेन्द्रियों को प्रेरित करना है।
- इस विधि को पढ़ाने के लिए प्रत्यक्ष विधि, प्रतिकृति, चित्र, अभिनय आदि साधन काम मे लाये जाते है।
- छात्रों के माध्यम से अर्थ निकलवाना उद्घोधन है।
टीका विधि- इस विधि को प्रवचन विधि भी कहते है।
- यह विधि उच्च स्तर व उच्चमाध्यमिक स्तर के लिए उपयोगी है।
- इस विधि में शब्द की व्युत्पत्ति-संधि,समास,कारक,प्रकृति,विलोम आदि को समन्वित करके पढ़ाया जाता है।
- यह समन्वित विधि का रूप है।
स्पष्टीकरण विधि- इस विधि में तुलना, वाक्य प्रयोग, अन्तःकरण, प्रसंग, संदर्भ, व्याख्या आदि शब्दों का प्रयोग किया है।
अतः हम कह सकते हैं कि गद्य शिक्षण में काठिन्य निवारण उपर्युक्त सभी के द्वारा किया जा सकता है।