यह मानी हुयी और सच्ची बात है बालक प्रायः विभिन्न स्वभाव के होते हैं। हामिद तो अपने उत्तम और आदर्शमय स्वभाव से महान ठहरा । यह तो भोली सूरत का, चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका था। इसके माँ – बाप तो चल बसे थे। लेकिन यह विषय न जाननेवाला हामिद उनके लौट आने की आशा में सदा खुश रहता था। अपनी दादी के प्रति इसे बहुत प्यार था। इसीलिए ईदगाह जाते समय अपनी दादी – माँ को धीरज बँधाता | यह आशावादी लडका था। इसके मन में त्याग, सद्भाव, विवेक, सहनशीलता संवेदनशीलता जैसी महान भावनाएँ घर कर बैठी थीं। मेले में सभी लड़कों ने अपने मनपसंद खाने और खेलने की चीजें खरीदीं तो हामिद ने अपनी दादी का ख्याल करके उसका कष्ट दूर करने अपने पास रहें पूरे तीन पैसे से चिमटा खरीदा। घर लौटकर उसे प्यार से दादी माँ को दिया। इस तरह हामिद मन में त्याग, सद्भाव, विवेक, संवेदनशील भवानाएँ रखनेवाला उत्तम बालक था।