1. भाव : इस दोहे में कविवर रहीम “पानी” शब्द को तीन अर्थों में प्रयोग करते हुए कहते हैं कि पानी के बिना मोती, मनुष्य और चूना ये तीन व्यर्थ व निरुपयोग हैं। पानी के तीन अर्थ ये हैं – इज्जत, चमक और जला कविवर रहीम बताते हैं कि इज्जत या आदर के बिना मनुष्य, चमक या चमक के बिना मोती, जल के बिना चूना व्यर्थ तथा निरुपयोग हैं। इसलिए इन तीनों की रक्षा होनी चाहिए।
2. भाव : कविवर बिहारी इस दोहे में धनी व्यक्तियों की मनोदशा के बारे में वर्णन करते हैं। कवि यहाँ कनक शब्द को दो अर्थों में प्रयोग किया है। एक – धतूरा, दूसरा – सोना। कवि कहते हैं कि धतूरे की अपेक्षा सोने में सौ गुना नशा अधिक है। धतूरे को खाने से ही मानव पागल बनता है। लेकिन सोना या धन – दौलत को पाने से ही मनुष्य पागल होजाता है।