मानव सामाजिक प्राणी है। अपने हित के साथ-साथ उसे दूसरों की भलाई करने के बारे में भी सोचना है | संसार में अकेले एक व्यक्ति कोई काम पूरा नहीं कर सकता | इसके लिए लोगों की सहायता ज़रूर लेनी है | जीवन निर्वाह के लिए भी हम दूसरों पर आश्रित रहते हैं। ऐसी हालत में हम दूसरों का भी महत्व जानकर उनके काम आयें तो, सबका निर्वाह सुचारू रूप से हो सकता है । अपनी स्वार्थ भावना भूलकर दूसरों की सहायता करना मानव का प्रथम कर्तव्य है । इससे ही मानव सुखी और सार्थक व्यक्ति बन सकता है।