मंगलगिरि,
दि. x x x x x
प्यारे मित्र विनय,
मैं यहाँ कुशल हूँ। आशा करता हूँ कि तुम भी वहाँ सकुशल हो। मुझे खेलों में कई ईनाम मिले।
मैं इस पत्र में तुझे बताना चाहता हूँ कि खेल हमारे जीवन का अनोखा अंग है।
हमें खेलों से एकता का भाव मिलता है। खेलों से हमें तंदुरुस्त मिलता है। खेलों से हमें भाईचार का भावना मिलती है। इनसे प्रेम भावना बढ़ती है। स्नेह भावना बढ़ती है। खेलों से एकता की भावना जागृत होती है। खेलों से अनुशासन मिलता है। खेलों से शारीरिक और मानसिक विकास भी होता है।
मैं आशा करता हूँ कि तुम भी हमेशा खेलों में भाग लेते रहोगे।
बडों को मेरा नमस्कार।
तुम्हारे प्यारे मित्र,
बी. माधव
पता:
एस. विनय,
पिता : राकेश,
घर – 30-10-30,
स्टेट बैंक गली,
कोत्तपेट, तेनाली।