घर के पास हमारे लिए उपयोग की वस्तुओं को बनाने के लिए जो छोटे उद्योग स्थापित किये जाते हैं उन्हें घरेलू – उद्योग कहते हैं।
हथकरघा :
गाँव में जो लोग कपड़ा बुनने का काम करते हैं, उन्हें जुलाहा कहते हैं। जुलाहा परिवार में स्त्री – पुरुष सब मिलकर सूत कातने, कपड़ा बुनने और कपड़े पर रंगाई का काम करने में लगे रहते हैं। भारत में हथकरघे का पेशा प्राचीन और प्रसिद्ध है। पुराने ज़माने में हाथ का बना महीन कपड़ा दियासलाई की डिबिया में रखकर विदेश भेजा जाता था। भारत में हथकरघे से बुना कपड़ा आज भी विश्व भर में प्रसिद्ध है। यह एक प्रमुख घरेलू – उद्योग है। आन्ध्र प्रदेश में नारायणपेट, गद्वाल, पोचंपल्ली, चीराला, भीमवरम्, धर्मावरम्, वेंकटगिरि आदि स्थानों पर साड़ियाँ अच्छी बनायी जाती हैं।