किसी जीव का किसी भी परिस्थिति में ढलना उसके अनुरूप अपने शरीर की संरचनात्मक और रचनात्मक ढांचे में बदलाव आना उस जीव का अनुकूलन कहलाता है। अनुकूलन एक ऐसी परिस्थिति होती है, जिसमें जीव उस भौतिक परिस्थिति के हिसाब से जिसमें वह नहीं रह सकता था. अब वह उसमें रह सकता है उस परिस्थिति के हिसाब को खुद को ढाल लिया है, इस स्थिति को अनुकूलन कहते हैं। जैसे मरुस्थल में रहने वाले कंगारू चूहा, मरुस्थल में पानी की कमी होती है, इसलिए कंगारू चूहा अपने शरीर के अंदर अपने ही मूत्र का ऑक्सीकरण कर उसे यूज करते हैं, जिससे उनका शरीर वापस यूज कर सके इसे ही अनुकूलन कहते हैं। इसी प्रकार ठंडे प्रदेशों में रहने वाले पशु, पक्षी ,जीव ,जंतु के कान छोटे होते हैं। जिससे उनके शरीर का सरफेस एरिया कम हो जाता है, और वह अपने शरीर के अंदर की गर्मी को संचित रख पाते हैं इसे एलन का नियम कहते है।