अन्त:स्रावी ग्रन्थियों द्वारा स्रावित रासायनिक यौगिकों को हॉर्मोन्स कहते हैं। ये ग्रन्थियों द्वारा सीधे रुधिर में मुक्त होकर शरीर के अन्य अंगों तक पहुँचते हैं। हॉर्मोन्स सक्रिय उत्प्रेरक के रूप में विभिन्न शारीरिक क्रियाओं का नियन्त्रण एवं समन्वये करते हैं। इनकी सूक्ष्म मात्रा ही विशेष अंगों की कायिकी को वातावरणीय दशाओं की आवश्यकतानुसार अनुकूलित करती है।
अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ, तन्त्रिका तन्त्र के नियन्त्रण में कार्य करती हैं, किन्तु इनका स्वयं तन्त्रिका तन्त्र पर भी नियन्त्रण होता है। इस प्रकार शरीर में विभिन्न तन्त्रों की क्रियाओं का परस्पर समन्वय सुनिश्चित होता हैं।
हॉर्मोन्स का महत्त्व अथवा कार्य
हॉर्मोन्स द्वारा शरीर में विभिन्न महत्त्वपूर्ण कार्य सम्पन्न किए जाते हैं, जो निम्नलिखित हैं।
⦁ हॉर्मोन्स शरीर की कोशिकाओं के उपापचय का नियन्त्रण करके शरीर की कार्यात्मक क्षमता को बनाए रखते हैं। ये शरीर की समुचित वृद्धि एवं विकास को सुनिश्चित करते हैं। कुछ हॉमन्स, रक्त में ग्लूकोज, लवण, आयरन आदि की मात्रा को नियन्त्रित करते हैं एवं शरीर के अन्त: वातावरण के सन्तुलन की अवस्था को बनाए रखते हैं।
⦁ कुछ हॉर्मोन्स हृदय स्पन्दन दर, श्वास दर आदि को नियमित रखते हैं।
⦁ लिग हॉमन्स द्वारा प्रजनन से सम्बन्धित अंगों का विकास तथा उनको सम्पूर्ण क्रियाविधि पर नियन्त्रण का कार्य किया जाता है।
⦁ आहारनाल के विभिन्न भागों की श्लेष्मिका से स्रावित हॉमोंन पाचक रसों के स्रावण को प्रेरित करते हैं।
⦁ कुछ हॉर्मोन्स; जैसे-एड्रीनेलिन, शरीर को संकटकालीन परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार करते हैं। इस प्रकार हॉर्मोन्स की हमारे शरीर में विशेष भूमिका होती है। यदि इनका स्रावण समुचित रूप से न हो, तो शरीर कई कार्यात्मक रोगों (Functional diseases) से ग्रस्त हो जाता है।