कुछ संक्रामक रोगों के रोगाणु वायु में व्याप्त रहते हैं तथा स्वस्थ व्यक्तियों के शरीर में श्वसन क्रिया द्वारा प्रवेश करते हैं। वायु के माध्यम से फैलने वाले मुख्य रोग हैं-क्षय रोग या तपेदिक, चेचक, खसरा, काली खाँसी, डिफ्थीरिया तथा इन्फ्लू एंजा आदि।
क्षय रोग (तपेदिक)
यह एक संक्रामक रोग है, जो माइक्रोबैसीलस ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु से होता है। इस रोग को ‘यक्ष्मा’ या ‘काक रोग’ भी कहते हैं। यह रोग शरीर के विभिन्न अंगों; जैसे-लसीका ग्रन्थियों, आँत, अस्थियों में प्रकट हो सकता है। यद्यपि इसके सर्वाधिक रोगी फेफड़ों के क्षय से पीड़ित होते हैं।
कारण
इस रोग के फैलने के सम्भावित कारण निम्नलिखित हैं।
⦁ यदि रहने के स्थान पर शुद्ध वायु का अभाव हो एवं समुचित संवातन व्यवस्था न हो।
⦁ पर्याप्त पौष्टिक भोजन उपलब्ध न हो।
⦁ शारीरिक एवं मानसिक दुर्बलता के कारण प्रतिरोधक क्षमता का क्षीण होजाना।
⦁ स्वस्थ व्यक्ति को रोगी के संसर्ग में होना। उल्लेखनीय है कि इस रोग केजीवाणु मुँह से थूकते समय या चूमने से प्रसारित होते हैं।
⦁ रोगी द्वारा प्रयुक्त संक्रमित वस्तु का स्वस्थ मनुष्य द्वारा प्रयोग किया जाना।
⦁ क्षमता से अधिक कार्य किया जाना।
लक्षण
क्षय रोग के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं।
⦁ रोग के शुरुआत में ही थकान एवं कमजोरी का अनुभव होने लगता है। साँस जल्दी-जल्दी फूलने लगती है।
⦁ हर समय हल्का-हल्का ज्वर रहने लगता है। रात को पसीना आता है।
⦁ रोगी को बार-बार जुकाम व खाँसी होती रहती है। खाँसी में कफ (बलगम) | निकलता है। धीरे-धीरे बलगम के साथ रक्त भी आने लगता है।
⦁ भूख लगनी बन्द हो जाती है। कमजोरी के कारण व्यक्ति की कार्यक्षमता घट जाती है।
⦁ शरीर में खून की कमी से त्वचा पीली पड़ जाती है।
⦁ फेफड़ों के प्रभावित होने की स्थिति में, छाती में दर्द रहने लगता है।
बचाव के उपाय
क्षय रोग से बचाव के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं।
⦁ बच्चों को बी.सी.जी. (बैसिलस कैलमिटि ग्यूरीन) का टीका अवश्य लगाना चाहिए।
⦁ व्यक्ति को नियमित रूप से व्यायाम करा चाहिए।
⦁ प्रातः काल टहलना लाभप्रद है, इससे शुद्ध वायु फेफड़ों में प्रवेश करती है।
⦁ व्यक्ति को नियमित रूप से शुद्ध जल एवं पौष्टिक आहार लेना चाहिए।
⦁ इधर-उधर थूकने की जगह केवल थूकदान का प्रयोग करना चाहिए।
⦁ घर, आस-पड़ोस एवं मौहल्ले में सार्वजनिक स्वच्छता के प्रति जागरुकता रहनी चाहिए।
⦁ टी. बी. के रोगी के सम्पर्क में आने से बचना चाहिए। रोगी के थूक, वस्त्र, बर्तन, बिस्तर आदि से अलग रहना चाहिए।
⦁ रोगी को टी. बी. के अस्पताल में भर्ती करा देना चाहिए।
उपचार
क्षय रोग के उपचार के प्रमुख बिन्दु हैं
⦁ रोगी को शुद्ध वायु, जल एवं पौष्टिक आहार की उपलब्धता अत्यन्त आवश्यक है।
⦁ चिकित्सक की सलाह से रोगी को ‘डॉट’ (DOTS) प्रणाली के अधीन स्वीकृत दवाओं का सेवन करना चाहिए। इस रोग के उपचार हेतु दवाओं का नियमित सेवन अत्यन्त आवश्यक है, अन्यथा रोग का जीवाणु दवाओं के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सकता है। ऐसी स्थिति में टी. बी. को इलाज मुश्किल हो जाता है।
⦁ गरम जलवायु क्षय रोग के रोगी के लिए ठीक नहीं होती। अतः रोगी को सम जलवायु में रखना चाहिए।