Use app×
Join Bloom Tuition
One on One Online Tuition
JEE MAIN 2025 Foundation Course
NEET 2025 Foundation Course
CLASS 12 FOUNDATION COURSE
CLASS 10 FOUNDATION COURSE
CLASS 9 FOUNDATION COURSE
CLASS 8 FOUNDATION COURSE
0 votes
62 views
in Home Science by (51.3k points)
closed by

टायफाइड रोग के कारण, लक्षण एवं रोकथाम के विषय में लिखिए। 

अथवा

जल द्वारा फैलने वाले कौन कौन-से रोग हैं? उनमें से किसी एक रोग के कारण, लक्षण एवं बचने के उपाय लिखिए। 

1 Answer

+1 vote
by (55.1k points)
selected by
 
Best answer

टायफाइड (मोतीझरा)

जल के माध्यम से फैलने वाले मुख्य रोग हैं-टायफाइड, हैजा, अतिसार, पेचिश, पीलिया आदि। टायफाइड रोगी को एक निश्चित अवधि तक बुखार अवश्य रहता है, इसलिए इसे मियादी बुखार भी कहा जाता है।

कारण

यह रोग, मनुष्य की आन्त्र (छोटी आँत) में मिलने वाले साल्मोनेला टाइफी नामक जीवाणु से होता है। यह जीवाणु जल तथा भोजन के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करता है। घरेलू मक्खी के मल पर बैठने से रोगाणु उनके साथ चिपक कर हमारे खाद्य पदार्थों तक पहुँच जाते हैं, जिसे खाने से रोग का संक्रमण हो जाता है। टायफाइड रोग की उद्भवन अवधि 4 से 10 दिन तक होती है।

लक्षण

व्यक्ति के शरीर में जीवाणु के सक्रिय होते ही रोग के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। इस रोग के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं।

⦁    सिरदर्द तथा बुखार, जो दोपहर बाद अपने चरम पर होता है। संक्रमण के प्रथम सप्ताह के प्रत्येक दिन शारीरिक ताप (ज्वर) में वृद्धि होती जाती है।

⦁    दूसरे सप्ताह में तेज ज्वर होता है, जो धीरे-धीरे तीसरे तथा चौथे सप्ताह में कम होता है।

⦁    कुछ टायफाइड रोगियों के शरीर पर छोटे-छोटे सफेद रंग के मोती जैसे दाने भी निकल जाते हैं, इसलिए इस रोग को मोतीझरा भी कहते हैं।

⦁    इस रोग से आँतें भी प्रभावित होती हैं। आँतों में सूजन तथा घाव हो जाते हैं।
बचाव के उपाय
इस रोग के रोकथाम के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं

⦁    TAB-टीकाकरण से प्रतिरक्षण का प्रभाव तीन वर्षों तक रहता है। अतः समय-समय पर टीका लगवाते रहना चाहिए।

⦁    व्यक्तिगत स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कुछ भी खाने से पूर्व हाथों को अवश्य धोना चाहिए।

⦁    टायफाइड के रोगी को अन्य व्यक्तियों से अलग रखना चाहिए, जिससे संक्रमण का प्रसार न हो। रोगी के बर्तन, बिस्तर तथा कपड़ों आदि को अलग ही रखना चाहिए तथा रोगी के ठीक होने पर उन्हें भली-भाँति नि:संक्रमित किया जाना चाहिए।

⦁    रोगी के मल-मूत्र को खुले में नहीं छोड़ना चाहिए। मल विसर्जन व्यवस्था समुचित होनी चाहिए

⦁    दूध को उबालकर पीना चाहिए तथा पेय जल की शुद्धता सुनिश्चित होनी चाहिए।

उपचार

मियादी बुखार का व्यवस्थित उपचार सम्भव है, इसके लिए समुचित चिकित्सकीय परामर्श लेना आवश्यक है। उपचार के दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

⦁    रोगी को पूर्ण विश्राम देना चाहिए।

⦁    रोगी को उबला हुआ पानी एवं हल्का-सुपाच्य आहार प्राप्त हो।

⦁    रोगी को फलों का रस दिया जाना चाहिए।

⦁    चिकित्सक द्वारा दी गई औषधियों को नियमित रूप से लिया जाना चाहिए।

Related questions

Welcome to Sarthaks eConnect: A unique platform where students can interact with teachers/experts/students to get solutions to their queries. Students (upto class 10+2) preparing for All Government Exams, CBSE Board Exam, ICSE Board Exam, State Board Exam, JEE (Mains+Advance) and NEET can ask questions from any subject and get quick answers by subject teachers/ experts/mentors/students.

Categories

...