Use app×
Join Bloom Tuition
One on One Online Tuition
JEE MAIN 2025 Foundation Course
NEET 2025 Foundation Course
CLASS 12 FOUNDATION COURSE
CLASS 10 FOUNDATION COURSE
CLASS 9 FOUNDATION COURSE
CLASS 8 FOUNDATION COURSE
0 votes
88 views
in Home Science by (51.3k points)
closed by

हैजा रोग के उद्गम, फैलने की विधि, लक्षण एवं उपचार लिखिए। 

अथवा

हैजा रोग के कारण, लक्षण व बचने के उपाय लिखिए। 

1 Answer

+1 vote
by (55.1k points)
selected by
 
Best answer

हैजा

यह एक अति तीव्र संक्रामक रोग है, जो प्रायः भीड़-भाड़ वाले स्थानों; जैसे-मेलों, तीर्थस्थानों आदि में अथवा बाढ़ जैसी आपदा के उपरान्त फैलता है। कभी कभी तो यह महामारी का रूप लेकर बहुत बड़े जन-समुदाय में फैल जाता है।

कारण एवं प्रसार

विब्रिओकॉलेरी नामक जीवाणु इस रोग का कारक है। ये जीवाणु पानी में अधिक पनपते हैं तथा अधिक गर्मी व अधिक ठण्ड में जीवित नहीं रह पाते। इन जीवाणुओं को संवहन मुख्य रूप से मक्खियों द्वारा होता है। मक्खी के मल, वमन आदि पर बैठने से रोगाणु उनके साथ चिपककर हमारे भोज्य पदार्थों तक पहुँच जाते हैं। ऐसे भोजन को ग्रहण करने से रोग का संक्रमण होता है। स्पष्टतः स्वच्छता में कमी से यह रोग बहुत तेजी से फैलता है। इस रोग का उद्भवन काल बहुत कम होता है। संक्रमण के पश्चात् कुछ ही घण्टों में यह विकराल रूप धारण कर लेता है।

लक्षण

रोग के प्रमुखलक्षण निम्नलिखित हैं

⦁    जलीय दस्त जो सामान्तया वेदनामुक्त होता है।

⦁    हैजे के रोगी को वमन (उल्टी) होती रहती है।

⦁    कुछ ही घण्टों में भारी मात्रा में तरल की हानि जिससे निर्जलीकरण, पेशीय | ऐंठन तथा भार में कमी हो जाती है।
⦁    चेहरे की चमक खत्म हो जाती है तथा आँखें अन्दर धंस जाती हैं।

⦁    शरीर में जल की कमी से नाड़ी की गति धीमी हो जाती है। समय पर उपचार | न मिलने से रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।

बचाव के उपाय

हैजे से बचने के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं।

⦁    हैजे के टीके द्वारा प्रतिरक्षीकरण आवश्यक है, इसकी एक खुराक का प्रभाव लगभग छ: माह तक रहता है।

⦁    हैजा प्रभावित क्षेत्रों में उबले हुए जल का प्रयोग महत्त्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त भोजन ठीक से पका हुआ एवं शुद्ध होना चाहिए। हैजे के प्रसार की स्थिति में, बाजार में उपलब्ध कटे हुए फल अथवा बिना ढकी मिठाइयों आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।

⦁    हैजा प्रभावित क्षेत्रों में तालाब, नदी तथा कुएँ के पानी को नि:संक्रमित किया जाना चाहिए।

⦁    व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक स्वच्छता के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए, | जो हैजा से बचाव के लिए आवश्यक है। रोगी के मल-मूत्र, वमन तथा थूक आदि के निस्तारण की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। स्वच्छता मक्खियों से बचाव का कारगर उपाय है।

⦁    हैजे का प्रकोप बढ़ने पर भीड़-भाड़ वाले स्थानों में जाने से बचना चाहिए।

⦁    जीवनरक्षक घोल (नमक, चीनी, ग्लूकोज, सोडियम बाइकार्बोनेट तथा पोटैशियम क्लोराइड का जलीय विलयन) का अविलम्ब प्रयोग करना चाहिए। इस विलयन को पीते रहने से निर्जलीकरण रुक जाता है।

उपचार

अनुभवी चिकित्सक की सलाह के साथ निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं।

⦁    प्रारम्भिक अवस्था में रोगी को प्याज का अर्क (रस) तथा अमृतधारा जैसी दवा दी जा सकती है।

⦁    रोगी को पर्याप्त आराम मिलना चाहिए।

⦁    निर्जलीकरण से बचने के उपाय करने चाहिए।

⦁    रोगी को ठोस भोज्य पदार्थ नहीं देना चाहिए। थोड़ा आराम होने पर सन्तरे | का रस, जौ- का पानी तथा थोड़ा पानी मिलाकर गाय का दूध दिया जा सकता है।

Related questions

Welcome to Sarthaks eConnect: A unique platform where students can interact with teachers/experts/students to get solutions to their queries. Students (upto class 10+2) preparing for All Government Exams, CBSE Board Exam, ICSE Board Exam, State Board Exam, JEE (Mains+Advance) and NEET can ask questions from any subject and get quick answers by subject teachers/ experts/mentors/students.

Categories

...