मलेरियो मलेरिया मच्छर द्वारा फैलने वाला संक्रामक रोग है। गर्म देशों (Tropical Countries) तथा नमी वाले क्षेत्रों में इसका प्रकोप अधिक होता है। कारण
मलेरिया का कारक प्लाज्मोडियम नामक परजीवी प्रोटोजोआ है। प्लाज्मोडियम की विभिन्न जातियाँ (वाइवैक्स, मेलिरिआई और फैल्सीपेरम) विभिन्न प्रकार के मलेरिया के लिए उत्तरदायी हैं। इनमें से प्लाज्मोडियम फैल्सीपेरम द्वारा होने वाला रोग सबसे गम्भीर है और यह घातक भी हो सकता है।
यह रोगवाहक मादा ऐनाफ्लीज मच्छर के काटने से होता है, जो मनुष्य का खून चूसती है। जब मादा ऐनाफ्लीज मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटती है, तब परजीवी उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और आगे का परिवर्धन वहाँ होता है। ये परजीवी मच्छर में बहुसंख्यात्मक रूप से बढ़ते रहते हैं और जीवाणुज (स्पोरोजाइट्स) बन जाते हैं। जीवाणुज, परजीवी का संक्रामक रूप है।
जब मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो जीवाणुज मच्छर की लार ग्रन्थियों से व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है। प्रारम्भ में परजीवी यकृत में अपनी संख्या बढ़ाते रहते हैं और फिर लाल रुधिर कणिकाओं पर आक्रमण करते हैं। विभिन्न जाति के परजीवी, मनुष्य के यकृत तथा रक्त में भिन्न-भिन्न जीवन चक्र चलाते हैं। ये चक्र 24, 48 तथा 72 घण्टों में समाप्त होते हैं। इन्हीं के अनुसार रोग भी कई रूपों में होता है।
लक्षण
जब परजीवी लाल रुधिर कणिकाओं पर आक्रमण करते हैं, तो लाल रक्त कणिकाओं के फटने के साथ ही एक टॉक्सिक पदार्थ हीमोजोइन निकलता है, जो ठिठुरन एवं प्रत्येक तीन से चार दिन के अन्तराल पर आने वाले तीव्र ज्वर के लिए उत्तरदायी होता है। सिरदर्द, मिचली, पेशीय वेदना तथा तीव्र ज्वर मलेरिया के प्रमुख लक्षण हैं। मलेरिया के प्रत्येक आक्रमण के तीन चरण होते हैं।
1. शीत चरण सर्दी तथा कपकपी महसूस होती है।
2. उष्ण चरण तीव्र ज्वर, हृदय की धड़कन तथा श्वास की गति में वृद्धि होती है।
3. स्वेदन चरण पसीना आता है तथा ताप ज्वर सामान्य स्तर तक कम हो जाता है। मलेरिया के प्रकोप से मुक्त होने के बाद व्यक्ति कमजोर हो जाता है रुधिर की कमी हो जाती है। यकृत तथा प्लीहा का बढ़ जाना मलेरिया के अन्य प्रभाव हैं।
बचाव अथवा रोकथाम के उपाय
मलेरिया मच्छर के काटने से संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति तक फैलता है, इसलिए मच्छर के काटने से बचाव ही मलेरिया की रोकथाम का एकमात्र उपाय है। इसके लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं।
⦁ खिड़की व दरवाजों पर महीन जाली लगवाएँ, जिससे घरों में मच्छरों का प्रवेश रोका जा सके।
⦁ मच्छर भगाने या मारने वाले रसायन का प्रयोग किया जा सकता है।
⦁ मच्छरदानी में सोएँ।
⦁ ठहरे हुए पानी पर मिट्टी के तेल का छिड़काव करना चाहिए, जिससे मच्छरों के लार्वा मर जाएँ अथवा लार्वाभक्षक मछली (उदाहरणतः गेम्बुसिया, ट्राउट, मिनोस) और बत्तख इत्यादि के प्रयोग से भी लार्वा नियन्त्रण किया जा सकता है।
⦁ कीटनाशक दवाओं के छिड़काव से मच्छरों को मारना।
⦁ मच्छरों के प्रजनन स्थानों को नष्ट करना।
उपचार
मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति के उपचार के लिए कुनैन (सिनकोना वृक्ष की छाल से प्राप्त) नामक औषधि का प्रयोग किया जाता है। चिकित्सक की सलाह से कुछ अन्य औषधियाँ भी ली जा सकती हैं; जैसे-पैल्युड्रिना।
मलेरिया के रोगी को पूर्ण विश्राम एवं हल्का व सुपाच्य भोजन दिया जाना चाहिए।