लॉर्ड मैकाले ने भारत में शिक्षा की व्यवस्था के विषय में एक विवरण-पत्र प्रस्तुत किया था, जिसके आधार पर शिक्षा के क्षेत्र में पूर्व-पश्चिम सम्बन्धी विवाद उठ खड़ा हुआ। इसी सन्दर्भ में मैकाले ने निस्यन्दन सिद्धान्त प्रस्तुत किया। इस सिद्धान्त की मान्यता के अनुसार, यदि समाज के उच्च वर्ग को समुचित शिक्षा प्रदान कर दी जाए तो उस स्थिति में शिक्षा उच्च वर्ग से स्वतः ही निम्न वर्ग तक पहुँच जाएगी। इस तथ्य को आर्थर मैथ्यू ने इन शब्दों में स्पष्ट किया है, “सर्वसाधारण में शिक्षा ऊपर से छन-छन कर पहुँचानी थी। बूंद-बूंद करके भारतीय जीवन के हिमालय से लाभदायक शिक्षा नीचे बहे, जिससे वह कुछ समय में चौड़ी और विशाल धारा में परिवर्तित होकर शुष्क मैदानों का सिंचन करे।” मैकाले के निस्यन्दन सिद्धान्त के अनुसार सरकार का दायित्व केवल उच्च वर्ग को शिक्षित करना था तथा निम्न वर्ग स्वत: ही उच्च वर्ग के सम्पर्क में आकर क्रमशः शिक्षित हो जाएगा।