परिवार नियोजन से आशय
नियोजन का अभिप्राय एक ऐसी व्यवस्था से होता है, जिसमें कुछ निश्चित लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं और इन लक्ष्यों को एक निश्चित अवधि में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्राप्त किया जाता है। परिवार के सन्दर्भ में नियोजन का प्रमुख रूप परिवार नियोजन है। मूल रूप से परिवार नियोजन का आशय परिवार के आकार को सीमित रखने से है, यद्यपि आधुनिक परिस्थितियों में इसे विस्तृत अवधारणा के रूप में स्वीकार किया जा रहा है, जिसका अन्तिम लक्ष्य सम्पूर्ण परिवार का कल्याण है।
इस रूप में परिवार नियोजन का क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत है, इसमें परिवार को सीमित रखने के साथ-साथ सन्तानहीन को मातृत्व का लाभ दिलाना एवं माता व शिशु दोनों की देखभाल सुनिश्चित करना आदि सम्मिलित हैं। उपरोक्त विवरण को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि, “हमारे समाज के लिए परिवार कल्याण एवं परिवार नियोजन सुझाव ही नहीं, चेतावनी है।”
परिवार नियोजन की विधियाँ
आधुनिक समय में पुरुषों-स्त्रियों के लिए परिवार नियोजन के विभिन्न भौतिक साधन प्रचलित हैं। परिवार नियोजन के मुख्य साधनों का संक्षिप्त परिचय निम्नलिखित है
परिवार नियोजन की विधियाँ
( पुरुषों के लिए)
⦁ कण्डोम
⦁ नसबन्दी है।
1.कण्डोम (निरोध) यह रबड़ की थैली के समान होता है, जिसे पुरुष सहवास से पूर्व अपने लिंग पर धारण कर सकता है। यह गर्भधारण से बचाव का कारगर उपाय है। कण्डोम के प्रयोग से यौन संक्रमण से होने वाले रोगों से भी बचा जा सकता है।
2. नसबन्दी- यह एक छोटा-सा ऑपरेशन होता है, इस ऑपरेशन में डॉक्टर कुछ नसों को काटकर बाँध देता है। इससे शुक्राणु वीर्य में नहीं आ पाते और स्त्री के गर्भ ठहरने की आशंका नहीं रहती है। इस उपाय द्वारा अवांछित गर्भ से सदा के लिए मुक्ति मिल जाती है। अतः नसबन्दी तभी करानी चाहिए, जब पति-पत्नी अन्तिम रूप से और सन्तान न करने का निर्णय ले लें।
( स्त्रियों के लिए)
⦁ लूप
⦁ नसबन्दी
⦁ डायाफ्राम
⦁ झागदार गोलियाँ
⦁ ओरल पिल्स
1. लूप यह प्लास्टिक का बना हुआ एक छोटा-सा छल्ला होता है, जिसे डॉक्टर द्वारा स्त्री की बच्चेदानी में एक सरल विधि से रख दिया जाता इस पूरी प्रक्रिया में स्त्री को किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती। जब तक बच्चेदानी में रहता है, तब तक स्त्री को गर्भ ठहरने की आशंका नहीं। जेली और क्रीम रहती। इस उपाय से पति-पत्नी के संसर्ग में भी किसी प्रकार की बाधा नहीं आती है। इस प्रकार यह गर्भ निरोध की सरल एवं विश्वसनीय विधि है।
2. नसबन्दी- यह ऑपरेशन स्त्रियों के लिए भी होती है, इसे कभी भी कराया जा सकता है। इस ऑपरेशन के बाद भी स्त्री को मासिक धर्म पूर्व की भाँति नियमित रूप से होता है। इससे पति-पत्नी के सहवास में भी कोई अन्तर नहीं अतिा है। वर्तमान में दूरबीन विधि द्वारा भी स्त्रियों की नसबन्दी सम्भव है, इसके तुरन्त बाद स्त्री को घर भेज दिया जाता है तथा इससे कोई परेशानी नहीं होती।
3. डायाफ्राम- यह मुलायम रबड़ की टोपी के समान होता है, जो गर्भाशय के | मुँह को ढक देता है, जिससे गर्भ ठहरने की सम्भावना नहीं रहती।
4. जेली और क्रीम- ये वस्तुएँ एक ट्यूब में आती हैं। इसके साथ लगाने की पिचकारी भी आती है, जिससे जेली या क्रीम को बच्चेदानी के मुँह तक पहुँचा दिया जाता है। ये ऐसी औषधियों से युक्त होती हैं, जो शुक्राणुओं को गर्भाशय में जाने से रोकने का कार्य करती हैं।
5. झागदार गोलियाँ इन गोलियों में विद्यमान दवाई शुक्राणुओं को नष्ट करने में सक्षम होती है। सहवास के पूर्व स्त्री द्वारा ये गोलियाँ पानी में गीली करके योनि में रख ली जाती हैं। इन गोलियों से उत्पन्न होने वाला झाग शुक्राणुओं को निष्क्रिय कर देता है। इन गोलियों का प्रयोग यद्यपि सरल होता है, किन्तु ये गोलियाँ डायाफ्राम या जेली की भाँति पूर्णरूपेण सफल नहीं होती हैं।
6. ओरल पिल्स गर्भनिरोधक गोलियाँ मुख से ग्रहण की जाती हैं; जैसे–माला डी आदि। ये गोलियाँ प्रतिदिन या निश्चित समय पर लेने से गर्भ ठहरने का भय नहीं रहता, यद्यपि इनके प्रयोग से पूर्व चिकित्सक की सलाह अवश्य ले लेनी चाहिए। परिवार नियोजन के उपरोक्त उपायों में से किसी का भी प्रयोग करके परिवार को आदर्श परिवार बनाया जा सकता है।