मेरा विद्यालय (My School) निबन्ध में उन्होंने शान्ति निकेतन में स्थापित अपने विद्यालय के कार्यक्रम और उसकी योजना का वर्णन किया है। आश्रम में रहकर आवासी शिक्षा, प्रकृति में और प्रकृति के द्वारा शिक्षा की व्यवस्था और आध्यात्मिक शिक्षा के सम्बन्ध में उनके विचार इस निबन्ध में दुहराए गए हैं। उन्होंने बताया है कि स्कूल में आदर्श वातावरण का श्रेय ‘‘मेरे किसी नए शिक्षा सिद्धान्त को नहीं अपितु मेरे स्कूली दिनों की स्मृति को ही है।” टैगोर ने महले किसी सिद्धान्त का प्रचार करके उसके आधार पर विद्यालय की स्थापना नहीं की थी। उन्होंने अनुभव किया कि कुछ किया जाना आवश्यक है। उन्हें सूझा और इसको रूप दे दिया। उनका कहना था कि बच्चों को वास्तविक सुख, स्वतन्त्रता, स्नेह और सहानुभूति से अब और अधिक देर तक वंचित नहीं रखना चाहिए, शैशवकाल में शिशु को जीवन की पूरी बँट पिलानी चाहिए इसके लिए इसकी प्यास अनन्त है। शिशु के मन को इस विचार से पूरा भर देना चाहिए।
टैगोर ने अपने विद्यालय में निम्नलिखित तत्त्वों पर बल दिया
⦁ विद्यालय प्राकृतिक वातावरण में स्थापित किया जाए।
⦁ विद्यालय का संचालन प्राचीन तपोवनों की व्यवस्था पर किया जाए।
⦁ विद्यालय में छात्रों को आध्यात्मिक मूल्यों का प्रशिक्षण दिया जाए।
⦁ विद्यालय में प्रकृति तथा प्राकृतिक तत्त्वों के प्रति संवेदना की भावना का विकास किया जाए।
⦁ विद्यालय में छात्रों के लिए स्वतन्त्रता का वातावरण प्रदान किया जाए।
⦁ विद्यालय छात्रों में वातावरण के लिए जागरूकता का विकास करें।
⦁ विद्यालय छात्रों को इस प्रकार के वातावरण में शिक्षित करे जो जीता-जागता हो तथा अध्यापक वे छात्र के परस्पर प्रभावी सम्पर्क पर आधारित हो।
⦁ विद्यालय छात्रों को उनकी मातृभाषा में शिक्षण दे।
⦁ प्रभावी आत्मीय छात्र-अध्यापक सम्पर्क के लिए आवश्यक है कि कक्षा में छात्रों की संख्या कम हो।
⦁ विद्यालय में शारीरिक श्रम के लिए प्रावधान किया जाए।
⦁ विद्यालय में समृद्ध पुस्तकालय हो।
⦁ विद्यालय में कई शिल्पों (Crafts); जैसे–सिलाई, जिल्दसाजी, बुनाई तथा बढ़ईगीरी के सिखाने की व्यवस्था की जाए।
⦁ विद्यालय में ड्राइंग, कला तथा संगीत को पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग बनाया जाए।
⦁ विद्यालय में छात्रों के चुनाव के लिए अनेक पाठान्तर क्रियाओं की व्यवस्था की जाए।
⦁ विद्यालय में किसी भी प्रकार से जाति तथा धर्म के आधार पर भेद-भाव न किया जाए।
⦁ विद्यालय स्वशासित संस्था के आधार पर चलाया जाए जिसमें डेरी फार्म, डाकघर, अस्पताल तथा कार्यशाला हो।
⦁ विद्यालय में छात्र स्वयं न्यायालय का संचालन करें।
⦁ अध्यापक अपने व्यक्तित्व से छात्रों को प्रभावित करें।