पर्यावरण-शिक्षा का अर्थ
पर्यावरण-शिक्षा एक ऐसी शिक्षा है जो पर्यावरण के माध्यम से, पर्यावरण के सम्बन्ध में, पर्यावरण के हेतु होती है। वास्तव में पर्यावरण जड़ एवं चेतन दोनों को शिक्षा देने वाला है। पर्यावरण व्यक्ति के उन कार्यों को प्रोत्साहित करता है जो उनके अनुकूल होते हैं। पर्यावरण एक महान् शिक्षक है क्योंकि शिक्षा का कार्य छात्रों को उस वातावरण के अनुकूल बनाना है जिससे कि वे जीवित रह सकें तथा अपनी मूल-प्रवृत्तियों को सन्तुष्ट करने हेतु अधिक-से-अधिक सम्भव अवसर प्राप्त कर सकें। शिक्षा व्यक्ति को पर्यावरण से अनुकूलन करना ही नहीं सिखाती वरन् पर्यावरण को अपने अनुकूल बनाने हेतु उसे प्रशिक्षित भी करती हैं।
पर्यावरण-शिक्षा की परिभाषा
पर्यावरण-शिक्षा के अर्थ को स्पष्ट करते हुए अनेक विद्वानों ने उसे परिभाषित किया है। यहाँ हम कुछ परिभाषाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं
1. संयुक्त राज्य अमेरिका का पर्यावरण-शिक्षा अधिनियम, 1970 ई०
“पर्यावरण-शिक्षा का अर्थ है-वह शैक्षिक प्रक्रिया जो मानव के प्राकृतिक एवं मानव निर्मित वातावरण से सम्बन्धित है। इसमें जनसंख्या प्रदूषण, संसाधनों का विनियोजन एवं नि:शोषण, संरक्षण, यातायात, प्रौद्योगिकी एवं सम्पूर्ण मानवीय पर्यावरण के शहरी एवं ग्रामीण नियोजन का सम्बन्ध भी निहित है।”
2.एनसाइक्लोपीडिया ऑफ रिसर्च
“पर्यावरण-शिक्षा को परिभाषित करना सरल कार्य नहीं है, क्योंकि पर्यावरण-शिक्षा का अधिगम क्षेत्र ही अभी तक सुनिश्चित नहीं हो पाया है। परन्तु यह सर्वसम्मत अवश्य है कि पर्यावरण-शिक्षा की विषय-वस्तु अन्तर्विषयक (Interdisciplinary) प्रकृति की है। इसमें जीव-विज्ञान, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र एवं अन्य लोकोपकारी विषयों की विषय-सामग्री सम्मिलित है। इस विचार से सभी सहमत हैं कि पर्यावरणीय शिक्षा की सम्प्रत्यात्मक विधि सर्वश्रेष्ठ है।”
3. फिनिश नेशनल कमीशन
पर्यावरणशिक्षा पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्यों को लागू करने का एक तरीका है। यह विज्ञान की एक अलग शाखा अथवा कोई अलग अध्ययन विषय नहीं है। इसको जीवन-पर्यन्त एकीकृत शिक्षा के सिद्धान्त के रूप में लागू किया जाना चाहिए।”
4. चैपमैन टेलर
“पर्यावरण-शिक्षा का अभिप्राय अच्छी नागरिकता विकसित करने के लिए सम्पूर्ण पाठ्यक्रम को पर्यावरण मूल्यों तथा समस्याओं पर केन्द्रित करना है जिससे कि अच्छी नागरिकता का विकास हो सके एवं अधिगमकर्ता पर्यावरण के सम्बन्ध में भिज्ञ, प्रेरित एवं उत्तरदायी हो सके।
पर्यावरण-शिक्षा का स्वरूप / प्रकृति
पर्यावरण-शिक्षा को विभिन्न रूपों में स्पष्ट किया जा सकता है, यथा
1. पर्यावरण-शिक्षा का पर्यावरण माध्यम है
मनुष्य का पर्यावरण अकृतिक, सांस्कृतिक (मानव निर्मित. सुन्दर एवं शिक्षाप्रद है। जब बच्चे चिड़ियों अथवा तितलियों को देखकर आकर्षित होते हैं तो उनके विषय में अवगत कराना वातावरण के माध्यम से शिक्षा प्रदान करना है। वास्तव में इस प्रकार की शिक्षा कक्षा-कक्ष की चहारदीवारी में प्रदान की गयी शिक्षा की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण होती है। फलस्वरूप, पर्यावरण के माध्यम से व्यक्ति को शिक्षण अधिगम पर्याप्त मात्रा में कराया जाना चाहिए।
2. पर्यावरण-शिक्षा पर्यावरण से सम्बन्धित है
मनुष्य प्रतिदिन अपने अस्तित्व की रक्षा और समृद्धि के हेतु पर्यावरण के सम्पर्क में कार्य करता है। किसी भी स्थिति में वह इससे बच नहीं सकता। परिवार में जन्म लेकर बच्चा परिवार के बाद पड़ोस, समुदाय आदि के सम्पर्क में आता है और उसके क्रिया-कलापों में भाग लेता है, इस तरह वह वातावरण के सम्बन्ध में सीखता है। व्यक्ति को समुदाय में सामाजिक संस्थाओं के विषय में जानकारी मिलती है और इस जानकारी के अभाव में वह अपना जीवन सफलतापूर्वक नहीं व्यतीत कर सकता। यही स्थिति प्राकृतिक पर्यावरण की भी है। उसे अपने प्राकृतिक पर्यावरण से ही यह जानकारी प्राप्त होती है। वह खाद्य सामग्री कहाँ और किस तरह प्राप्त करता है, यह सामग्री किस प्रकार की भूमि से उत्पन्न होनी चाहिए आदि बातें वह स्वयं ही सीखता है। पर्यावरण के सम्बन्ध में यह जानकारी पर्यावरणीय शिक्षा है।
3. पर्यावरण, शिक्षा का पर्यावरण है
वर्तमान युग में पर्यावरण के क्षेत्र में क्रान्ति हुई है। जनसंख्या विस्फोट के कारण पर्यावरण में परिवर्तन हुआ है। इस विस्फोट के फलस्वरूप प्रौद्योगिकी का विकास हुआ और औद्योगीकरण के फलस्वरूप वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण, परिवहन-प्रदूषण, ध्वनि-प्रदूषण, सामाजिक-प्रदूषण आदि समस्याएँ उत्पन्न हुईं। इनके फलस्वरूप मानव-जीवन अत्यन्त कष्टप्रद हो गया। फलस्वरूप यह आवश्यक हो गया कि उन उपायों की खोज की जाए जिससे पर्यावरण का संरक्षण हो सके। इस तरह पर्यावरण के सुधार तथा संरक्षण से सम्बन्धित जानकारी पर्यावरणीय शिक्षा है। वास्तव में पर्यावरण-शिक्षा, शिक्षा की विषय-वस्तु और शैली दोनों ही है। शैली के रूप में यह पर्यावरण को शिक्षण अधिगम सामग्री के रूप में प्रयुक्त करती है। विषय-वस्तु के रूप में यह पर्यावरण के निर्णायक तत्त्वों के सम्बन्ध में शिक्षण है। पर्यावरण के हेतु शिक्षा के रूप में यह पर्यावरण का नियन्त्रण, पारिस्थितिकी (Ecology) सन्तुलन के स्थापन और पर्यावरणीय प्रदूषण के नियन्त्रण से सम्बन्धित है।