यह सच है कि आधुनिक जटिल और बड़े समाजों में औपचारिक साधनों के द्वारा सामाजिक नियन्त्रण स्थापित किया जाता है, लेकिन प्रत्येक समाज में नियन्त्रण के औपचारिक साधनों के साथ कुछ ऐसे अनौपचारिक साधनों को भी उपयोग में लाया जाता है जिनके द्वारा आत्म-नियन्त्रण को प्रोत्साहन दिया जा सके। नियन्त्रण के औपचारिक साधनों में जहाँ बाध्यता, दबाव और शक्ति का समावेश होता है, वहीं नियन्त्रण के अनौपचारिक साधने अपनी प्रकृति से सामाजिक होते हैं। इनका उद्देश्य शक्ति के द्वारा लोगों के व्यवहारों को प्रभावित करना नहीं होता, बल्कि लोगों में स्वेच्छा से सामाजिक मानदण्डों और मूल्यों के अनुसार व्यवहार करने की आदत को विकसित करना होता है।
इनका दूसरा उद्देश्य व्यक्तित्व के आन्तरिक पक्ष को अनुशासित बनाना होता है, क्योंकि अनौपचारिक साधनों के प्रभाव को व्यक्ति स्वेच्छा से स्वीकार करता है। यही कारण है कि समूह-कल्याण में वृद्धि करने के लिए औपचारिक साधनों की तुलना में सामाजिक नियन्त्रण के अनौपचारिक साधनों को महत्त्वपूर्ण समझा जाता है। सामाजिक नियन्त्रण के अनौपचारिक साधन मुख्यतः सरल और छोटे समाजों में अधिक प्रभावपूर्ण होते हैं, लेकिन जटिल और बड़े समाजों में भी इनका उपयोग करना उतना ही आवश्यक समझा जाता है। साधारणतया नियन्त्रण के अनौपचारिक साधन किन्हीं लिखित नियमों के द्वारा व्यक्ति के व्यवहारों को नियन्त्रित नहीं करते, लेकिन इनके अनुसार व्यवहार करना लोग अपना नैतिक कर्तव्य मानते हैं।
प्रथाएँ, परम्पराएँ, लोकाचार, नैतिक नियम, धार्मिक विश्वास, सामूहिक निर्णय, प्रशंसा, तिरस्कार आदि वे तरीके हैं जिनके माध्यम से नियन्त्रण के अनौपचारिक साधन समाज में एकरूपता लाते हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि नियन्त्रण के अनौपचारिक साधनों द्वारा नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों को दण्डित करते हैं, लेकिन यह दण्ड राज्य के द्वारा नहीं बल्कि समूह के द्वारा दिया जाता है। ऐसे दण्ड का उद्देश्य व्यक्ति के विचारों और व्यवहारों में रचनात्मक सुधार लाना होता है। समाज व्यक्ति से यह आशा करता है कि सामाजिक नियन्त्रण के अनौपचारिक साधनों के अनुसार वह अपनी प्रवृत्तियों और इच्छाओं को स्वयं नियन्त्रित करे। इसके बाद भी सामाजिक नियन्त्रण के अनौपचारिक साधनों की प्रकृति औपचारिक साधनों की तुलना में कम परिवर्तनशील होती है, क्योंकि यह साधन सामाजिक मूल्यों, सांस्कृतिक मानदण्डों तथा परम्पराओं के आधार पर व्यक्तिगत व्यवहारों को नियन्त्रित करते हैं। परिवार, धर्म, प्रचार, जनमत, पुरस्कार, हास्य तथा व्यंग्य आदि सामाजिक नियन्त्रण के कुछ प्रमुख अनौपचारिक साधन हैं।