बाह्य समूह की अवधारणा समनर नामक समाजशास्त्री ने दी है। समनर ने बाह्य समूह की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख किया है
⦁ व्यक्ति, बाह्य समूह; जैसे-शत्रु सेना, अन्य गाँव आदि को पराया समूह मानता है अर्थात्इ सके सदस्यों के प्रति अपनत्व की भावना का अभाव पाया जाता है।
⦁ बाह्य समूह के प्रति द्वेष, घृणा, प्रतिस्पर्धा एवं पक्षपात के भाव पाए जाते हैं।
⦁ बाह्य समूह के सदस्यों के प्रति घनिष्ठता नहीं पाई जाती है।
⦁ बाह्य समूह के प्रति उदासीन अथवा निषेधात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।