औद्योगीकरण व नगरीकरण में गहरा सम्बन्ध है, फिर भी इनमें अन्तर पाये जाते हैं। इनमें चार अन्तर निम्नलिखित हैं
1. औद्योगीकरण गाँव एवं नगर दोनों ही स्थानों पर हो सकता है। इसके लिए गाँव छोड़कर नगर जाने की आवश्यकता नहीं है। ग्रामों में भी यदि बड़े-बड़े उद्योगों की स्थापना कर दी जाए अथवा उत्पादन शक्ति-चालित मशीनों से होने लगे तो वहाँ भी औद्योगीकरण हो जाएगा, किन्तु नगरीकरण में ग्रामीण जनसंख्या को ग्राम छोड़कर नगरों में जाना होता है।
2. औद्योगीकरण में कृषि व्यवसाय को छोड़ना होता है और उसके स्थान पर अन्य व्यवसायों में लगना होता है, जब कि नगरीकरण का सम्बन्ध कृषि, उद्योग, व्यापार, नौकरी एवं छोटे-छोटे व्यवसायों
से भी है। इस प्रकार नगरीकरण में कृषि और गैर-कृषि दोनों ही प्रकार के व्यवसाय किये जाते हैं।
3. औद्योगीकरण का सम्बन्ध उत्पादन की प्रणाली से है, जिसमें उत्पादन का कार्य मशीनों की सहायता से किया जाता है। आर्थिक वृद्धि से इसका घनिष्ठ सम्बन्ध है। अतः मूलत: यह एक आर्थिक प्रक्रिया है, किन्तु नगरीकरण नगरीय बनने की एक प्रक्रिया है, जिसका सम्बन्ध एक विशेष प्रकार की जीवन-शैली, खान-पान, रहन-सहन, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक जीवन से है, जो नगर में निवास करने वाले लोगों में पाया जाता है।
4. सामान्यतः औद्योगीकरण नगरीकरण अथवा नगरों पर आधारित है; क्योंकि उद्योगों की स्थापना के लिए सुविधाओं; जैसे-बैंक मुद्रा, साख, श्रम, यातायात एवं संचार के साधन, पानी, बिजली, बाजार, कच्चा माल आदि की आवश्यकता होती है, वे सभी नगरों में उपलब्ध होती हैं। अतः कहा जाता है कि औद्योगिक समाज नगरीय समाज ही है, जब कि नगरीकरण औद्योगीकरण के बिना भी सम्भव है। प्राचीन समय में जब उत्पादन कार्य बिना मशीनों की सहायता से नहीं किया जाता था तब भी नगर मौजूद थे। उस समय नगर धार्मिक, राजनीतिक, शैक्षणिक एवं व्यापारिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थल थे। तीर्थस्थान, राजधानियाँ, शिक्षा व संस्कृति के केन्द्र तथा व्यापारिक मण्डियाँ ही तब नगर कहलाते थे।