⦁ ब्रिटिश उपनिवेशवाद जो कि पूँजीवाद पर आधारित था, ने सीधे तौर पर निजी लाभ तथा ब्रिटिश पूँजीवाद के हितों पर अपना ध्यान केंद्रित किया।
⦁ जो भी नीतियाँ बनाई गईं, उनका उद्देश्य ब्रिटिश पूँजीवाद को विस्तारित तथा मजबूत करना था।
⦁ उसने कृषिगत भूमि के नियमों में भी बदलाव किए
(क) इसने न केवल भूमि के स्वामित्व में बदलाव किए, बल्कि इस नीति ने यह भी निर्धारित किया कि कौन-सी फसल का उत्पादन किया जाना चाहिए तथा किसका नहीं?
(ख) इन नीतियों ने वस्तुओं के उत्पादन तथा वितरण की पद्धति में भी बदलाव किए।
(ग) इसने विनिर्माण क्षेत्रों में भी हस्तक्षेप किया।
(घ) इसने जंगलों पर नियंत्रण करके पेड़ों का सफाया कर वहाँ बगान लगाना प्रारंभ कर दिया।
(ङ) उपनिवेशवाद ने वन अधिनियम लागू किया। इसके कारण जनजातियों तथा चरवाहों के जीवन में बदलाव आया।
(च) इसने लोगों को भारत के एक भाग से दूसरे भाग तक आने-जाने को भी सुगम बनाया। इस कारण लोगों में जागरूकता बढी तथा ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विरुद्ध असंतोष और मुखर हुआ।
उपनिवेशवाद ने हमारे सांस्कृतिक तथा राजनीतिक जीवन को काफी प्रभावित किया तथा कमोवेश इसे एक-दूसरे के साथ मिलाने का भी काम किया। गतिशीलता तथा आधुनिक विचारधारा को अपनाने के कारण लोगों ने स्वतंत्रता तथा मानवाधिकारों के बारे में सोचना प्रारंभ किया। इसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की नींव को तैयार किया। उपनिवेशवाद का एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक प्रभाव भी था। जैसे कि भारतीय मध्यम वर्ग की जीवन शैली में परिवर्तन आया। इनके खानपान, भाषा तथा पहनावे में भी परिवर्तन आया।
उपनिवेशवाद का भारतीय समाज पर पड़ने वाला राजनीतिक प्रभाव बहुत ही गहरा था। इसने हमारे राष्ट्रीय आंदोलन, राजनीतिक पद्धति, संसदीय तथा विधिक पद्धति, संविधान, शिक्षा पद्धति तथा पुलिस यातायात के नियम तथा कुल मिलाकर पूरे राजनीतिक संरचना में उपनिवेशवाद के कारण बदलाव आए।