Use app×
QUIZARD
QUIZARD
JEE MAIN 2026 Crash Course
NEET 2026 Crash Course
CLASS 12 FOUNDATION COURSE
CLASS 10 FOUNDATION COURSE
CLASS 9 FOUNDATION COURSE
CLASS 8 FOUNDATION COURSE
0 votes
868 views
in History by (45.9k points)
closed by

आधुनिक भारत के पुनर्जागरण में स्वामी दयानन्द के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।

1 Answer

+1 vote
by (41.6k points)
selected by
 
Best answer

हिन्दू धर्म और समाज में व्याप्त बुराईयों को समाप्त करने में आर्य समाज का विशेष योगदान है। आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानन्द द्वारा 1875 ई० में हुई थी। उन्नीसवीं शताब्दी का काल समाज में घोर असमानता और अन्याय का युग था। भारतीय लोग अनेक रूढ़ियों और आडम्बरों के कारण पतन की ओर उन्मुख हो रहे थे। ऐसे समय में स्वामी दयानन्द ने आर्य समाज की स्थापना कर, उनका उद्धार किया। उन्होंने हिन्दुओं को प्रेम, स्वतन्त्रता, सच्ची ईश्वर-भक्ति एवं हिन्दू संस्कृति के प्रति सम्मान का भाव रखने की प्रेरणा दी।

शिक्षा के क्षेत्र में दयानन्द का भी उल्लेखनीय योगदान रहा। उनके अनुयायियों के सहयोग से स्थान-स्थान पर डी०ए०वी० स्कूलों, गुरुकुलों एवं कन्या पाठशालाओं की स्थापना की गई। उन्होंने आश्रम-व्यवस्था को महत्व दिया। उनका मानना था कि वर्ण-व्यवस्था को गुण व कर्म के अनुसार ही मानना चाहिए। ये छुआछूत, बालविवाह, कन्या वध, पर्दा प्रथा जैसी कुरीतियों के विरोधी थे। दयानन्द ने राष्ट्रीय जागरण के क्षेत्र में स्वभाषा, स्वधर्म और स्वराज्य पर बल दिया। इनका मानना था कि समस्त ज्ञान वेदों में ही नीहित हैं, इसलिए ‘पुनः वेद की ओर चलो’ का नारा दिया। दयानन्द पहले भारतीय थे, जिन्होंने सभी व्यक्तियों को (शूद्रों एवं स्त्रियों को भी) वेदों के अध्ययन एवं इसकी व्याख्या करने का अधिकार दिया।

आर्यसमाज का राजनीतिक जागृति में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। दयानन्द सरस्वती की जीवनी के एक लेखक ने उनके बारे में लिखा है दयानन्द का लक्ष्य राजनीतिक स्वतन्त्रता था। वास्तव में वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने ‘स्वराज’ शब्द का प्रयोग किया। वे प्रथम व्यक्ति थे, जिन्होंने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना तथा स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करना सिखाया। वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने हिन्दी को राष्ट्रभाषा स्वीकार किया।” आर०सी० मजूमदार ने लिखा है- “आर्य-समाज प्रारम्भ से ही उग्रवादी सम्प्रदाय था। उसका मुख्य स्रोत तीव्र राष्ट्रीयता था।” इस प्रकार आर्य समाज ने हिन्दू धर्म और संस्कृति की श्रेष्ठता का दावा करके हिन्दू सम्मान के गौरव की रक्षा की तथा हिन्दू जाति में आत्मविश्वास एवं स्वाभिमान को जन्म दिया। इससे भारतीय राष्ट्रीयता के निर्माण में सहयोग मिला।

इस प्रकार आर्य समाज ने भारत को धर्म, समाज, शिक्षा और राजनीतिक चेतना के क्षेत्र में बहुत कुछ प्रदान किया है। इसी कारण ब्रह्म समाज आन्दोलन प्रायः समाप्त हो गया है। रामकृष्ण मिशन का प्रभाव समाज के शिक्षित और उदार-वर्ग तक सीमित है, आर्य समाज अभी तक न केवल एक जीवित आन्दोलन है, अपितु हमारे समाज के छोटे और निम्न से निम्न वर्ग तक उसकी पहुँच है और एक सीमित क्षेत्र में आज भी उसे एक जन-आन्दोलन स्वीकार किया जा सकता है।

Related questions

Welcome to Sarthaks eConnect: A unique platform where students can interact with teachers/experts/students to get solutions to their queries. Students (upto class 10+2) preparing for All Government Exams, CBSE Board Exam, ICSE Board Exam, State Board Exam, JEE (Mains+Advance) and NEET can ask questions from any subject and get quick answers by subject teachers/ experts/mentors/students.

Categories

...