प्रवास का अर्थ-किसी व्यक्ति अथवा जनसमूह के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर बसने को ‘प्रवास’ कहते हैं।
वह स्थान जहाँ से लोग गमन करते हैं, ‘उद्गम स्थान’ कहलाता है और जिस स्थान पर आगमन करते हैं, वह ‘गंतव्य स्थान’ कहलाता है। उद्गम स्थान पर जनसंख्या घट जाती है जबकि गंतव्य स्थान पर जनसंख्या बढ़ जाती है।
प्रवास के प्रकार
प्रवास स्थायी और अस्थायी दोनों प्रकार से हो सकता है। अस्थायी प्रवास आवधिक, वार्षिक, मौसम, साप्ताहिक या दैनिक हो सकता है। स्थायी प्रवास मुख्यतः दो प्रकार का होता है
(1) बाह्य प्रवास तथा
(2) आन्तरिक प्रवास।
1. बाह्य प्रवास-अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं को पार करने वाला प्रवास ‘बाह्य प्रवास’ कहलाता है। दिशा के आधार पर बाह्य प्रवास दो प्रकार का होता है
⦁ आप्रवास – विदेश में स्थायी रूप से बसने के लिए जाने की क्रिया को ‘आप्रवास’ कहते हैं। विश्व जनसंख्या : वितरण, घनत्व और वृद्धि
⦁ उत्प्रवास – किसी अन्य स्थान पर जीवन व्यतीत करने के लिए एक स्थान से बाहर चले जाना ‘उत्प्रवास’ कहलाता है।
2. आन्तरिक प्रवास-किसी देश के विभिन्न क्षेत्रों के मध्य होने वाले पारस्परिक प्रवास को आन्तरिक प्रवास’ कहते हैं। यह दो प्रकार का हो सकता है–
⦁ अन्तःराज्यीय प्रवास – जब लोग किसी एक राज्य के एक स्थान से किसी दूसरे स्थान की ओर प्रवास कर जाते हैं तो इसे ‘अन्त:राज्यीय प्रवास’ कहते हैं।
⦁ अन्तर्राज्यीय प्रवास – किसी अन्य स्थान के किसी एक राज्य से अन्य राज्य की ओर प्रवास ‘अन्तर्राज्यीय प्रवास’ कहलाता है।
दिशा के आधार पर आन्तरिक प्रवास चार प्रकार का होता है। इन्हें प्रवास की धाराएँ कहते हैं(i) गाँव से नगर को प्रवास,
⦁ गाँव से गाँव को प्रवास,
⦁ नगर से गाँव को प्रवास,
⦁ नगर से नगर को प्रवास।