परम्परागत सुरक्षा के चार तत्त्व निम्नवत् हैं-
1. परम्परागत खतरे-सुरक्षा की पारम्परिक अवधारणा में सैन्य खतरों को किसी भी देश के लिए सर्वाधिक माना जाता है। इसका स्रोत कोई दूसरा देश होता है जो सैनिक हमले की धमकी देकर किसी देश की सम्प्रभुता, स्वतन्त्रता तथा क्षेत्रीय अखण्डता को प्रभावित करता है।
2. युद्ध-युद्ध में साधारण लोगों के जीवन पर भी खतरा मँडराता है। किसी भी युद्ध में सिर्फ सैनिक ही घायल अथवा मारे नहीं जाते, बल्कि जन-सामान्य को भी इससे भारी नुकसान पहुंचता है।
3. शक्ति सन्तुलन-परम्परागत सुरक्षा नीति का एक अन्य महत्त्वपूर्ण तत्त्व शक्ति सन्तुलन है। कोई भी देश अपने पड़ोसी देशों की शक्ति का सही-सही आकलन करके भविष्य की नीति तैयार करता है। प्रत्येक सरकार दूसरे देशों से अपने शक्ति सन्तुलन को लेकर अत्यधिक संवेदनशील रहती है।
4. गठबन्धन करना-परम्परागत सुरक्षा नीति का एक तत्त्व गठबन्धन करना भी है। इसमें विभिन्न देश सम्मिलित होते हैं तथा सैन्य हमले को रोकने तथा उससे रक्षा करने के लिए मिल-जुलकर कदम उठाते हैं।