सामान्यत: गैर-राजनीतिक संगठन ऐसे संगठन हैं जो दलगत राजनीति से दूर स्थानीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों से जुड़े हुए होते हैं तथा सक्रिय राजनीति में भाग लेने की अपेक्षा एक दबाव समूह की तरह कार्य करते हैं।
औपनिवेशिक दौर में सामाजिक-आर्थिक मसलों पर भी विचार मन्थन चला जिससे अनेक स्वतन्त्र सामाजिक आन्दोलनों का जन्म हुआ; जैसे-जाति प्रथा विरोधी आन्दोलन, किसान सभा आन्दोलन और मजदूर संगठनों के आन्दोलन। ये आन्दोलन 20वीं सदी के प्रारम्भ में अस्तित्व में आए। मुम्बई, कोलकाता और कानपुर जैसे औद्योगिक शहरों में मजदूर संगठनों के आन्दोलनों का जोर था। इनका मुख्य जोर आर्थिक अन्याय और असमानता के मसले पर रहा। ये सभी गैर-राजनीतिक संगठन थे और इन्होंने अपनी माँगें मनवाने के लिए आन्दोलनों का सहारा लिया।
यद्यपि ऐसे गैर-राजनीतिक संगठनों ने औपचारिक रूप से चुनावों में भाग तो नहीं लिया लेकिन राजनीतिक दलों से इनका सम्बन्ध नजदीकी रहा। इन आन्दोलनों में सम्मिलित हुए कई व्यक्ति और संगठन राजनीतिक दलों में भी सक्रिय हुए।