बोन प्रक्षेप
Bonne’s Projection
यह एक परिष्कृत शंक्वाकार प्रक्षेप है। इस प्रक्षेप में अक्षांश एवं देशान्तर रेखाओं के मध्य की दूरी इस प्रकार निश्चित की जाती है कि यह एक समक्षेत्रफल प्रक्षेप बना रहे। इस प्रक्षेप की रचना फ्रांसीसी मानचित्रकार रिगोबर्ट बोन ने की थी जिनके नाम पर इसका नाम बोन प्रक्षेप पड़ा। इसे ‘बोन का समक्षेत्रफल प्रक्षेप’ भी कहते हैं। इस प्रक्षेप में अक्षांश रेखाएँ, एक प्रामाणिक अक्षांश वाले साधारण शंक्वाकार प्रक्षेप की भाँति एक केन्द्र से खींची गयी वृत्त के चाप की होती हैं, परन्तु इस प्रक्षेप में किसी विशिष्ट अक्षांश को ही प्रामाणिक अक्षांश नहीं माना जाता है, अपितु इसका चुनाव स्वेच्छा से कहीं भी किया जा सकता है। प्रत्येक अक्षांश पर देशान्तरों की दूरी इस प्रकार निश्चित की जाती है कि इसमें समक्षेत्रफलै’को गुण आ जाता है। किसी भी अक्षांश को प्रामाणिक अक्षांश मान लेने का सबसे बड़ा गुण यह है कि यह मध्य अक्षांशों के साथ-साथ निम्न अक्षांशों के लिए भी समान रूप से उपयोगी हो सकता है। इसमें देशान्तर रेखाएँ वक्र रेखाएँ होती हैं। इस पर क्षेत्रफल शुद्ध रहता है।

एक ड्राइंगशीट के बायीं ओर 5 सेमी अर्द्धव्यास लेकर वृत्त का एक चौथाई भाग अ ब स बनाकर उस पर 15° के अन्तर पर कोण खींचे। अ स लम्ब को ऊपर की ओर बढ़ाया। प्रामाणिक अक्षांश 45° पर च छ स्पर्श रेखा खींची जो अ स लम्ब रेखा को छ बिन्दु पर काटती है। ब द की दूरी परकार में भरकर अ बिन्दु को केन्द्र मानकर वृत्त का एक चाप घुमाया तथा सभी कोणों को काटने वाले बिन्दुओं से अ ब के समानान्तर 5 रेखाएँ खींची।

इस प्रक्रिया के पश्चात् ड्राइंगशीट के दायीं ओर एक सरल रेखा खींचकर उसके शीर्ष बिन्दु य से वृत्तांश की स्पर्श रेखा च छ के बराबर एक चाप खींचा। ब द की दूरी परकार में लेकर र बिन्दु से ऊपर दो। चिह्न तथा नीचे की ओर तीन चिह्न लगाये और य बिन्दु को ही केन्द्र मानकर इन पाँचों चिह्नों से चाप घुमाये। ये चाप क्रमशः 0° से 75° उत्तरी अक्षांशों को प्रकट करते हैं। प्रक्षेप की रचना में प्रत्येक अक्षांश पर भिन्न-भिन्न देशान्तरीय दूरी निश्चित करने के लिए प्रत्येक अक्षांश रेखा को प्रामाणिक अक्षांश मानकर दो प्रामाणिक अक्षांशों की भाँति वृत्तांश अ ब स के अन्दर अ ब के समानान्तर खींची गयी रेखाओं की सहायता से प्रत्येक अक्षांश की दूरी परकार में लेकर चार-चार चिह्न केन्द्रीय मध्याह्न रेखा के दोनों ओर अंकित किये तथा इन चिह्नों को मिलाते हुए वक्र रेखाएँ खींच दीं। इन वक्र रेखाओं को खींचने में फ्रेंच कर्व की सहायता ले लेनी चाहिए अथवा बाँस की सींक से भी यह कार्य किया जा सकता है। रेखाजाल को अंशांकित कर दिया। इस प्रकार बोन के समक्षेत्रफल शंक्वाकार प्रक्षेप की रचना पूर्ण हो जाती है।
बोन प्रक्षेप की विशेषताएँ
Characteristics of Bonne’s Projection
⦁ यह एक संशोधित शंक्वाकार प्रक्षेप है जिसमें देशान्तरीय स्थिति भिन्न प्रकार से निश्चित की जाती है।
⦁ सभी अक्षांश रेखाएँ समकेन्द्रीय वृत्त की चाप रेखाएँ होती हैं तथा इनके मध्य की दूरी समान होती है।
⦁ देशान्तर रेखाओं में केन्द्रीय मध्याह्न रेखा ही सरल रेखा होती है; अत: इसे ही अक्षांश रेखाएँ समकोण पर काटती हैं। अन्य सभी देशान्तर रेखाएँ वक्राकार होने के कारण अक्षांशों को तिरछा काटती हैं। इसके बाह्य भागों में तिरछापन बढ़ता जाता है।
⦁ प्रक्षेप का अर्द्धव्यास ज्ञात करने के लिए प्रामाणिक अक्षांश पर स्पर्श रेखा खींचनी पड़ती है। अत: किसी भी अक्षांश को प्रामाणिक अक्षांश माना जा सकता है।
⦁ वक्राकार देशान्तर होने का महत्त्वपूर्ण कारण प्रत्येक अक्षांश को समान महत्त्व दिया जाना है। देशान्तरों के मध्य की दूरी लघु वृत्तांश पर लम्बे डालकर ज्ञात की जाती है।
⦁ प्रक्षेप में अक्षांश रेखाओं की लम्बाई ग्लोब के समानुपाती रहती है। इसके अतिरिक्त केन्द्रीय देशान्तर पर अक्षांश के बीच का अन्तर भी शुद्ध रहता है। इसी कारण यह एक समक्षेत्रफल प्रक्षेप है।
⦁ प्रामाणिक अक्षांश के समीप स्थित देशों का क्षेत्रफल शुद्ध रहने के साथ-साथ इसमें आकृति भी शुद्ध रहती है। इसी कारण इस प्रक्षेप पर मध्य देशान्तर एवं प्रामाणिक अक्षांश निश्चित कर एक गोलार्द्ध के अधिकांश देशों को प्रदर्शित किया जा सकता है।
⦁ इस प्रक्षेप में सर्वत्र आकृति एवं दिशा शुद्ध नहीं रहती है। केन्द्रीय भाग से दूर जाने पर विकृति आती जाती है।
⦁ मध्य देशान्तर पर मापक शुद्ध रहता है। बाहर की ओर अशुद्धि आ जाती है। प्रक्षेप में सभी अक्षांशों पर मापक शुद्ध रहता है।
गुण
⦁ केन्द्रीय देशान्तर पर मापक शुद्ध होता है।
⦁ प्रक्षेप में अक्षांश रेखाओं की लम्बाई ग्लोब के समानुपाती होती है। अत: यह एक शुद्ध क्षेत्रफल प्रक्षेप है।
⦁ प्रामाणिक अक्षांश रेखा पर आकृति शुद्ध रहती है।
अवगुण
⦁ यह शुद्ध दिशा प्रक्षेप नहीं है।
⦁ केवल मध्य देशान्तर पर ही मापक शुद्ध रहता है। पूरब तथा पश्चिम की ओर जाने पर उसमें अशुद्धियाँ बढ़ती जाती हैं।
⦁ प्रामाणिक अक्षांश रेखा से दूर जाने पर आकृति बिगड़ती जाती है।
उपयोगिता – समक्षेत्रफल; प्रक्षेप होने तथा अधिकांश भागों में मापक शुद्ध रहने के कारण लघु मापक पर बनाये गये। इस प्रक्षेप पर देशों एवं महाद्वीपों के मानचित्र बराबर बनाये जा रहे हैं। युरोप, एशिया के अधिकांश भाग, उत्तरी अमेरिका एवं उसके देशों के लिए या एक गोलार्द्ध के मानचित्र के लिए यह एक उपयोगी प्रक्षेप है।
एटलस में भी इस प्रक्षेप को विभिन्न मानचित्रों के लिए आधार प्रक्षेप माना जाता है। ध्रुवीय प्रदेशों को इस पर प्रदर्शित नहीं किया जा सकता है।
भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, सऊदी अरब, मिस्र जैसे देशों के मानचित्रों के लिए यह बहुत ही उपयोगी प्रक्षेप है। परन्तु रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका आदि देशों के लिए यह उपयोगी प्रक्षेप नहीं है। मध्यम आकार के देशों के वितरण मानचित्रों के लिए यह बहुत ही उपयुक्त प्रक्षेप है।