दिए गए पद्यांशों को फ्ढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
ज्यों-ज्यों लगती है नाव पार
उर में आलोकित शत विचार ।
इस धारा-सा ही जग का क्रम, शाश्वत इस जीवन का उद्गम,
शाश्वत है गति, शाश्वत संगम !
शाश्वत नभ का नीला विकास, शाश्वत शशि का यह रजत हास,
शाश्वत लघु लहरों का विलास !
हे जग-जीवन के कर्णधार ! चिर जन्म-मरण के आर-पार,
शाश्वत जीवन-नौका-विहार?
मैं भूल गया अस्तित्व ज्ञान, जीवन का यह शाश्वत प्रमाण,
करता मुझको मरत्व दान !
(i) उपर्युक्त पद्यांश के शीर्षक और कवि का नाम लिखिए।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(iii) इस संसार की गति कवि को किसके समान लगती है?
(iv) गंगा के दोनों किनारे कवि को किसके समान लगते हैं?
(v) कवि क्या भूल गया था?