दिए गए पद्यांशों को फ्ढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
तुम मांसहीन, तुम रक्तहीन
हे अस्थिशेष ! तुम अस्थिहीन,
तुम शुद्ध बुद्ध आत्मा केवल,
हे चिर पुराण ! हे चिर नवीन !
तुम पूर्ण इकाई जीवन की,
जिसमें असार भव-शून्य लीन,
आधार अमर, होगी जिस पर ।
भावी की संस्कृति समासीन ।
(i) उपर्युक्त पद्यांश के शीर्षक और कवि का नाम लिखिए।
(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(iii) कौन हइडियों का ढाँचा मात्र प्रतीत होते हैं?
(iv) गाँधी जी को कवि ने चिर पुराण तथा चिर नवीन क्यों कहा है?
(v) गाँधी जी के आदर्शों पर भविष्य में किसे खड़ा होना पड़ेगा?