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क्षेत्र पंचायत किस प्रकार संगठित की जाती है ? यह अपने क्षेत्र के विकास के लिए कौन-कौन-से कार्य करती है ?

या

क्षेत्र पंचायत (पंचायत समिति) के संगठन, कार्यों तथा शक्तियों पर प्रकाश डालिए।

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उत्तर प्रदेश रायत (संशोधन) अधिनियम, 1994′ के सेक्शन 7 (1) के द्वारा क्षेत्र समिति का नाम बदलकर क्षेत्र पंचायत कर दिया गया है। यह ग्राम पंचायत के ऊपर के स्तर की इकाई होती है। राज्य सरकार गजट में अधिसूचना द्वारा प्रत्येक खण्ड के लिए एक क्षेत्र पंचायत स्थापित करेगी। पंचायत का नाम खण्ड के नाम पर होगा।

संगठन – क्षेत्र पंचायत एक प्रमुख और निम्नलिखित प्रकार के सदस्यों से मिलकर बनती है –

⦁    खण्ड की सभी ग्राम पंचायतों के प्रधान।
⦁    निर्वाचित सदस्य – ये पंचायती क्षेत्र के 2000 जनसंख्या वाले प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा निर्वाचित किये जाते हैं।
⦁    लोकसभा और विधानसभा के ऐसे सदस्य, जो उन निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो पूर्णत: अथवा अंशत: उस खण्ड में सम्मिलित हैं।
⦁    राज्यसभा तथा विधान परिषद् के ऐसे सदस्य, जो खण्ड के अन्तर्गत निर्वाचको के रूप में पंजीकृत हैं।
उपर्युक्त सदस्यों में केवल निर्वाचित सदस्यों को ही प्रमुख अथवा उप-प्रमुख के निर्वाचन तथा उनके विरुद्ध अविश्वास के मामलों में मत देने का अधिकार होता है।

योग्यता – क्षेत्र पंचायत का सदस्य निर्वाचित होने के लिए प्रत्याशी में निम्नलिखित योग्यताएँ होनी आवश्यक हैं –
⦁    उसका नाम क्षेत्र पंचायत की प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में हो।
⦁    वह विधानमण्डल का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो।
⦁    उसकी आयु 21 वर्ष हो।
⦁    वह किसी लाभ के सरकारी पद पर न हो।
स्थानों को आरक्षण – प्रत्येक क्षेत्र पंचायत में अनुसूचित जातियों, जनजातियों और पिछड़े वर्गों के लिए स्थान आरक्षित रहेंगे। क्षेत्र पंचायत में प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरे जाने वाले कुल स्थानों की संख्या में आरक्षित स्थानों का अनुपात यथासम्भव वही होगा जो उस खण्ड में अनुसूचित जातियों अथवा जनजातियों की या पिछड़े वर्गों की जनसंख्या का अनुपात उस खण्ड की कुल जनसंख्या में है। पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण कुल निर्वाचित स्थानों की संख्या के 27% से अधिक नहीं होगा।
अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित स्थानों की संख्या के कम-से-कम एक-तिहाई स्थान इन जातियों और वर्गों की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे। क्षेत्र पंचायत में निर्वाचित स्थानों की कुल संख्या के कम-से-कम एक-तिहाई स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे।

पदाधिकारी – क्षेत्र पंचायत में निर्वाचित सदस्यों द्वारा अपने में से ही एक प्रमुख, एक ज्येष्ठ उप-प्रमुख तथा एक कनिष्ठ उप-प्रमुख चुने जाते हैं। राज्य में क्षेत्र पंचायतों के प्रमुखों के पद अनुसूचित जातियों, जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों तथा महिलाओं के लिए आरक्षित किये गये हैं।
कार्यकाल – क्षेत्र पंचायत का कार्यकाल 5 वर्ष है, परन्तु राज्य सरकार 5 वर्ष की अवधि से पहले भी क्षेत्र पंचायत को विघटित कर सकती है। प्रमुख, उप-प्रमुख अथवा क्षेत्र पंचायत का कोई भी सदस्य 5 वर्ष की अवधि से पूर्व भी त्यागपत्र देकर अपना पद त्याग सकता है। प्रमुख तथा उप-प्रमुख के द्वारा अपने कर्तव्यों का पालन न करने की स्थिति में उनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित करके उन्हें पदच्युत किया जा सकता है। क्षेत्र पंचायत के विघटन के छ: माह की अवधि के भीतर चुनाव कराना अनिवार्य है।
अधिकारी – क्षेत्र पंचायत का सबसे प्रमुख अधिकारी ‘खण्ड विकास अधिकारी (Block Development Officer) होता है। इस पर समस्त प्रशासन का उत्तरदायित्व होता है। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य अधिकारी भी होते हैं।
अधिकार और कार्य – क्षेत्र पंचायत के प्रमुख अधिकार और कार्य निम्नलिखित हैं –
⦁    कृषि, भूमि विकास, भूमि सुधार और लघु सिंचाई सम्बन्धी कार्यों को करना।
⦁    सार्वजनिक निर्माण सम्बन्धी कार्य करना।
⦁    कुटीर और ग्राम उद्योगों तथा लघु उद्योगों का विकास करना।
⦁    पशुपालन तथा पशु सेवाओं में वृद्धि करना।
⦁    स्वास्थ्य तथा सफाई सम्बन्धी कार्यों की देखभाल करना।
⦁    शैक्षणिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास से सम्बद्ध कार्य कराना।
⦁    पेयजल, ईंधन और चारे की व्यवस्था करना।
⦁    ग्रामीण आवास की व्यवस्था करना।
⦁    चिकित्सा तथा परिवार कल्याण सम्बन्धी कार्यों की देखभाल करना।
⦁    बाजार तथा मेलों की व्यवस्था करना।
⦁    प्राकृतिक आपदाओं में सहायता प्रदान करना।
⦁    ग्राम सभाओं का निरीक्षण करना तथा खण्ड विकास योजनाएँ लागू करना।

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